सियासत शॉपिंग धूम बंपर ड्रा की यादगार तारीख़ी तक़रीब

हैदराबाद 14 फरवरी :सियासत शॉपिंग धूम बंपर ड्रा की यादगार और तारीख़ी तक़रीब हर साल की तरह इस साल भी अपनी पूरी आब-ओ-ताब के साथ मुनाक़िद हुई। जिससे लुतफ़ अंदोज़ होने के लिए शहर और मज़ाफ़ाती इलाक़ों के फैमिलीज़ और नौजवान , कम-सिन बच्चे, बड़े बड़ी तादाद में देखे गए ।

सियासत शॉपिंग धूम के प्रोग्राम की ख़ास बात हर साल ये रहा करती है कि शायक़ीन के दिल को लुभाने के लिए शाम मौसीक़ी के ज़रीये एक नया रंग दिया जाता है जिसका मौसीक़ी के शायक़ीन सियासत शॉपिंग धूम को अगले साल तक अपने ज़हनों में ताज़ा रखते हैं। हर साल सियासत शॉपिंग के ज़रीये सारिफ़ीन को अपनी ज़रूरत और पसंद के लिहाज़ से हर किस्म की ख़रीदारी का मौक़ा फ़राहम किया जाता है। जिसका दोगुना फ़ायदा अवाम को उनकी ख़रीदारी पर क़ीमती इनामात के ज़रीये दिया जाता है। इस 9 वीं सालाना तक़रीब में मेहमान-ए-ख़ोसूसी की हैसियत से मुहम्मद महमूद अली डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर तेलंगाना ने शिरकत की। जिन ग्राहकों ने सियासत शॉपिंग धूम के ज़रीये ख़रीदारी करते हुए कूपन हासिल किए थे उन कूपनस में से मुहम्मद महमूद अली डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर ने इनाम अव्वल के तौर पर गोथिस ज्वेल के ख़रीदार का कूपन नंबर 1027305 का क़ुरआ निकाला। दूसरे इनाम (हीरो ग्लैमर) के लिए ज़ाहिद अली ख़ां एडीटर रोज़नामा सियासत ने कूपन नंबर 842464 का क़ुरआ निकाला इस ख़ुशनसीब गाहक ने स्मारटी फ़ैमिली फ़ैशन स्टोर से ख़रीदारी की थी , तीसरे इनाम के तौर पर मुंबई की मशहूर गुलूकारा इंदिरा नैक ने कूपन नंबर 817929 का क़ुरआ निकाला इस ख़ुशनसीब गाहक ने करिश्मा दी वेडिंग माल से ख़रीदारी की थी। इन तीनों ख़ुश-नसीबों को डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर मुहम्मद महमूद अली और ज़ाहिद अली ख़ां एडीटर रोज़नामा सियासत ने मुबारकबाद पेश की।

बंपर ड्रा का मरहला तकमील पाने के बाद भी शायक़ीन सूफ़ी मौसीक़ी अपनी नशिस्तों पर बैठे रहे। इंदिरा और अर्श मुहम्मद ख़ान ने अपने फ़न का जादू जगाया। इंदिरा जो सूफियाना कलाम की पेशकशी में ग़ैरमामूली शौहरत के लिए अपना सानी नहीं रखती उन्हें हैदराबाद की अवाम दू-ब-दू सुनकर ख़ुशी महसूस कर रहे थे। ख़ुसूसीयत के साथ नौजवान अर्श मुहम्मद ख़ां ने अपनी सुरीली आवाज़ में गीत-ओ-नग़मे गाकर शायक़ीन के दिल को भा दिया। गुलूकारा इंदिरा ने भी मुसलसिल 2 घंटे मुख़्तलिफ़ शारा-ए-का सूफियाना कलाम पेश किया। ख़ुसूसीयत के साथ ख़्वाजा जी , या ग़रीबनवाज़ के तहत ख़्वाजा मेरे ख़्वाजा दिल में समाजा और मुहब्बत अपने ही रंग में रख दे जैसे काफ़ी पसंद किया गया।