सीरिया की जेलों में हिंसा और बलात्कार से लगभग 18 हजार कैदी की मौत: रिपोर्ट

लंदन: एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सीरिया में बंदियों पर कथित तौर पर जेलों में हिंसा और बलात्कार के कारण लगभग 18 हजार लोग मारे गए हैं।मानवाधिकार संगठन की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी जेलों में होने वाली यह मौतें साल 2011 से 2015 के बीच हुई हैं।

एमनेस्टी का कहना है कि इस रिपोर्ट में 65 के करीब उन लोगों के साक्षात्कार शामिल हैं जिन्हें खुद ‘हिंसा का सामना करना पड़ा था,’ और उन्हीं ने हिरासत केंद्रों और जेलों में होने वाले भयानक हिंसक घटनाओं के बारे में बताया है।संगठन ने विश्व समुदाय से अनुरोध किया है कि वह सीरिया को हिंसा का उपयोग समाप्त करने के लिए दबाव डालें। हालांकि सीरियाई सरकार लगातार इन आरोपों को खारिज करती रही है। एमनेस्टी की ओर से यह रिपोर्ट गुरुवार को प्रकाशित की गई है जिसका नाम ‘इट ब्रेक्स दा ह्यूमन’ है।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

संस्था का कहना है कि एक अनुमान के अनुसार मार्च 2011 से 2015 के बीच सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत के बाद से 17723 से अधिक कैदी मारे गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अनुपात से प्रतिदिन दस और हर महीने तीन सौ के करीब लोग मर रहे हैं। अक्सर कैदियों को जेलों में आने के बाद गार्ड की ओर से गंभीर यातना का सामना करना पड़ता है जिसे ‘रिसेप्शन पार्टी’ कहा जाता है।संस्थान के अनुसार, “इस के बाद अक्सर ‘तलाशी प्रक्रिया’ शुरू होता है जिसके दौरान विशेष रूप से महिलाओं को पुरुष गार्ड की ओर से ‘बलात्कार और यौन हिंसा का निशाना बनाया जाता है।’

एक कैदी समर ने एमनेस्टी को बताया, “वह हमारे साथ जानवरों जैसा बर्ताव करते थे, वह जहाँ तक संभव हो लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हैं। ‘ समर ने बताया कि ‘मैंने खून यूं बहते देखा, जैसे कोई नदी हो। मैं कभी नहीं सोचा था कि मानवता इतना गिर जाएगी। हमें कभी भी कहीं भी मारने में उन्हें कोई समस्या नहीं है। ‘

एक और कैदी ज़ियाद (फर्जी नाम) ने बताया कि कैसे खुफिया एजेंसी के निरोध केंद्र में हवा बंद होने से एक ही दिन में सात लोग मारे गए। ज़ियाद ने बताया कि उन्होंने हमें लातें मारना शुरू कर दीं ताकि यह देख सकें कि कौन मर गया है और कौन जीवित है। ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल के मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के निदेशक फिलिप लूथर का कहना है कि ‘कई दशकों तक शाम की सरकारी सेना अपने विरोधियों को नष्ट करने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करती रही हैं।’

उन्होंने कहा कि आजकल यह किसी भी ऐसे व्यक्ति जिस पर सरकार के विरोध का संदेह हो, उसके खिलाफ एक प्रणाली के रूप में नागरिकों पर हमले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इससे मानवता के खिलाफ अपराध बढ़ रहा है। ‘

एमनेस्टी और अन्य मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इन आरोपों पर विश्व समुदाय की ओर से बात की जानी चाहिए। विशेष रूप से अमेरिका और रूस, जो सीरिया के विवाद पर शांति वार्ता में शामिल हैं।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये