चीन ने एक हाइपरसोनिक विमान का डिज़ाइन पेश किया है. उनका कहना है कि यह एक बहुत बड़ा कदम है और सुपरसोनिक हवाई यान की डिजाइन एयरोनाटिक उद्योग के लिए क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, हाइपरसोनिक उड़ानों को लेकर शोध कोई नई बात नहीं है, लेकिन आमतौर पर इसके केंद्र में सैन्य प्रयोग ही रहते हैं क्योंकि वहां पर शोध के लिए अधिक पैसा होता है और दबाव कम होता है.
यात्री उड़ानों के लिए क्या कोई विमान ध्वनि की गति से पांच गुना तेज़ उड़ सकता है और दो घंटे में प्रशांत महासागर का चक्कर काट कर आ सकता है? एचएसपी ‘मैगनावेम’अंतरिक्ष यान जैसी वाहन जो अभी हाल में इसकी डिजाइन पेश किया गया था जिसकी गति 1,852km/h तक पहुंचने में सक्षम बताया गया था। हलांकि यह परमाणु संलयन उर्जा से चलने वाली डिजाईन पेश किया गया था, और अब चीन इससे भी एक नहीं बल्कि कई कदम आगे निकल गया है, उसने 6000 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली सुपरसोनिक विमान का डिजाइन पेश किया है. इस समय चीन ने अपने मॉडल का छोटे पैमाने पर प्रयोग किया है. इसकी टेस्टिंग एक विंड टनेल में की गई है. इसलिए चीन के इस सपने को हकीकत की ज़मीन पर उतरने में फिलहाल वक्त लगेगा.
हाइपरसोनिक फ़्लाइट्स की राह में अभी और भी बड़ी चुनौतियां हैं. ये बहुत ज़्यादा महंगी हो सकती हैं और तेज़ आवाज़ की समस्या तो है ही. हाइपरसोनिक विमान के चीनी डिजाइन के बारे में फीजिक्स, मेकानिक्स और एस्ट्रोनॉमी के फरवरी अंक में रिसर्च पेपर छपा था. इसमें ये उम्मीद की गई है कि आने वाले समय में हाइपरसोनिक विमान ज़्यादा आसान और प्रभावशाली होंगे.
हालांकि फ़्लाइट ग्लोबल के एलिस टेलर कहते हैं, “कारोबारी लिहाज से इनके हकीकत में बदलने में अभी 15 से 20 साल और लगेंगे. इस समय इसके लिए कोई बाज़ार नहीं है. ऐतिहासिक रूप से हवाई सफ़र का किराया नीचे ही गिरा है और हाइपरसोनिक फ़्लाइट के लिए सवारी खोजना मुश्किल काम होगा.”
मैगनावेम अंतरिक्ष यान डिजाइनर ऑस्कर विनलल्स के अनुसार, यह सुपरसोनिक हवाई यान की डिजाइन एयरोनाटिक उद्योग के लिए क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, जो मुख्यतः कॉम्पैक्ट फ्यूजन रिएक्टर (सीएफआर) पर चलेगा। परमाणु संलयन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सूर्य काम करता है। कॉम्पैक्ट फ्यूजन रिएक्टर एक चुंबकीय कंटेनर के भीतर उस प्रक्रिया की नकल करेगा और हाइड्रोजन से ऊर्जा को रिहा कर देगा जिसका हम उपयोग कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, श्री विनलल्स का मानना है कि उनके हल्के विमान में कुछ 500 यात्रियों को ले जाया जा सकता था, और उनका इस्तेमाल करने वाली प्रौद्योगिकियों के कारण ‘मैगनावेम’ को बहुत जल्दी रिचार्ज किया जा सकता है। बार्सिलोना, स्पेन से ऑस्कर विनलल्स, एक वर्ष से भी अधिक समय से डिजाइन पर काम कर रहे हैं। इनमें कार्बन डाइऑक्साइड सफाई प्रणाली भी है, जो कि शिल्प के पर्यावरणीय लाभों को जोड़ती है।
सुपरसोनिक विमानों की रफ़्तार मापने का पैमाना अमूमन ध्वनि की गति या मैक वन रखा जाता है. ये तकरीबन 1235 किलोमीटर प्रति घंटा है.
आइये जानते हैं सुपरसोनिक और हाइपर सोनिक विमानों के बारे में
सबसोनिक – वो रफ़्तार जो ध्वनि की गति से कम हो जैसे यात्री विमानों की स्पीड.
सुपरसोनिक – मैक वन से तेज़ और मैक फ़ाइव तक (ध्वनि की स्पीड से पांच गुना ज़्यादा) जैसे कॉनकॉर्ड विमान यूरोप और अमरीका के बीच 1976 से 2003 तक उड़ान भरता रहा.
हाइपरसोनिक – वो रफ़्तार जो मैक फ़ाइव से ज़्यादा तेज़ हो. इस समय कुछ गाड़ियों पर इसके प्रयोग चल रहे हैं.
चीन इस समय ऐसे ही हाइपरसोनिक विमान पर फ़ोकस कर रहा है. चाइनीज़ एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़ की एक टीम इस पर काम कर रही है. रिसर्च टीम के पास इस समय दो चुनौतियां हैं. पहली इसकी एयरोडायनमिक्स और दूसरा इसका इंजन. इंजन वो चुनौती है जिसे सुलझाना बड़ी बाधा है.