नई दिल्ली : सेना को आधुनिक बनाने के प्रयासों को बड़ा झटका लगा है। दो साल के दौरान यह तीसरा मौका है जब सेना को आधुनिक बनाने के लिए होने वाले हथियारों के सौदे पर रोक लगाई गई है।
इससे पहले सेना के लिए नई असॉल्ट राइफलें और नजदीकी लड़ाई में काम आने वाली कार्बाइन खरीदने का सौदा भी रोका गया था। सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने 7.62 एमएम कैलिबर एलएमजी के टेंडर या आरपीएफ (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) को वापस ले लिया है। दरअसल इसके पीछे सिंगल-वेंडर सिचुएशन को जिम्मेदार बताया गया है। दिसंबर 2015 से लेकर फरवरी 2017 के बीच अकेले इजरायली विपन इंडस्ट्रीज (IWI) के इस सौदे में शामिल होने की वजह से सिंगल-वेंडर सिचुएशन पैदा हो गई।
एलएमजी खरीद का यह पूरा प्रॉजेक्ट 13,000 करोड़ रुपये का था। इस प्रक्रिया के तहत विदेशी आयुध कंपनी से करीब 4400 एलएमजी सीधे खरीदी जानी थीं। इसके बाद हथियार के स्वदेशी उत्पादन के लिए आयुध कंपनी के साथ तकनीक ट्रांसफर का करार होना था।
रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल 44,618 क्लोज-क्वॉर्टर बैटल कार्बाइनों की खरीद का टेंडर भी रद्द कर दिया था। यह टेंडर 2010 में किया गया था। इस मामले में भी IWI सिंगल वेंडर के रूप में सामने आया था। हालांकि रेस में इटली की फर्म बेरेटा भी थी। इस रक्षा सौदे में अनियमितताओं और राजनीतिक साजिश के आरोप लगे थे।
पिछले साल सितंबर में आर्मी ने न्यू जेनरेशन 7.62 एमएम*51 एमएम असॉल्ट राइफलों की खरीद के लिए ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया को फिर से शुरू किया था। यह डील भी घोटालों, अवास्तविक तकनीकी जरूरतों और असॉल्ट राइफलों के कैलिबर में परिवर्तन के चलते पिछले एक दशक में रद्द की गई थी। असॉल्ट राइफलों के लिए अंतिम RPF मई 2105 में रद्द किया गया था।
सूत्रों ने कहा कि रद्द हुए ये तीनों रक्षा सौदे सेना के लिए झटका हैं। सेना काफी दिनों से पुराने बुनियादी हथियारों को हटाकर आधुनिक हथियार की मांग कर रही है। इसके अलावा सेना को बुलेट प्रूफ जैकेट्स की कमी से भी जूझना पड़ रहा है। अगर रक्षा सौदों की प्रक्रियाएं इतनी लंबी चलेंगी तो सेना को नए हथियार हासिल करने में सालोंसाल लग जाएंगे।