भारतीय सेना ने घटिया क्वालिटी के गोला बारूद के चलते हो रहे हादसों पर चिंता जताई है. टैंक्स, आर्टिलरी, एयर डिफेंस और अन्य बंदूकों के लिए सरकारी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) की ओर से सप्लाई किए गए गोला बारूद में खामियों पर सवाल उठाए गए हैं. सेना ने रक्षा मंत्रालय (MoD) को बताया है कि गोला बारूद के चलते हादसों में चिंताजनक बढ़ोत्तरी हुई है. इससे हथियारों को नुकसान पहुंच रहा है और सैनिकों को चोटें लग रहीं हैं, उनकी मौत हो रही है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि ‘इससे अधिकतर गोला बारूद में सेना का भरोसा कम हो रहा है.’
अखबार ने रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से लिखा है सेना ने सचिव (रक्षा उत्पादन) अजय कुमार के सामने अपनी चिंता जाहिर की है. इसके बाद OFB की कार्यप्रणाली सुधारने को सेना और MoD के बीच बातचीत तेज हो गई है. कुमार ने सेना से कहा था कि वे गोला बारूद से जुड़ी विभिन्न समस्याओं पर एक दस्तावेज तैयार कर सौंपे.
कौन से गोला बारूद करवा रहे हादसा?
इस दस्तावेज में कहा गया है कि 105mm भारतीय फील्ड गन्स, 105mm लाइट फील्ड गन्स, 130mm MA1 मीडियम गन्स, 40mm L-70 एयर डिफेंस गन्स के साथ ‘नियमित हादसे’ हो रहे हैं. यही नहीं, T-72, T-90 और अर्जुन बैटल टैंक्स की मेन गन्स के साथ भी समस्या आ रही है. एक सूत्र के हवाले से अखबार ने लिखा है कि “सेना ने लंबी-दूरी के कुछ गोला बारूद का इस्तेमाल रोक दिया है, इसके लिए कुछ को उनकी अधिकतम रेंज तक टेस्ट नहीं किया जा रहा है.” पिछले पांच साल में टैंक्स से फायर किए गए 125mm उच्च विस्फोटक गोला बारूद की वजह से 40 से ज्यादा हादसे हो चुके हैं.
फरवरी में हुए एक हादसे के बाद से सेना ने L-70 एयर डिफेंस गन के जरिए 40mm गोला बारूद का इस्तेमाल भी बंद कर दिया है. इस हादसे में एक अधिकारी और चार सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे. छोटे और भारी कैलिबर वाले गोला बारूद काले पड़े जा रहे हैं और उनकी पैकेजिंग भी एक समस्या है.
क्या है ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का तर्क
OFB ने कहा है कि वह फैक्ट्री के क्वालिटी कंट्रोल डिपार्टमेंट द्वारा कड़े निरीक्षण के बाद ही सेना को सप्लाई करता है. OFB ने यह भी कहा है कि सेना किस तरह गोला बारूद का रख-रखाव करती है, इसकी जानकारी उसके पास नहीं है. इसके मुताबिक, हादसों के लिए रख-रखाव का तरीका भी बराबर का जिम्मेदार है.