हद पार करने वालों पर नजर रखने की सुप्रीम कोर्ट के पास अधिकार है: जस्टिस ठाकुर

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा है कि न्यायपालिका के पास इस की निगरानी का अधिकार है कि लोकतंत्र का कोई भी अंग हद पार न करे। जस्टिस ठाकुर का यह बयान संविधान दिवस के अवसर पर अदालत परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में उस समय आया जब केंद्र सरकार के उच्चतम अधिकारी अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायपालिका को दायरे की याद दिलाई।

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न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार श्री रोहतगी ने एक कार्यक्रम में विभिन्न अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए जाने के बाद अदालत परिसर में आयोजित कार्यक्रम में न्यायपालिका को अपने दायरे की याद दिलाई थी। मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकार के किसी भी अंग को ‘लक्ष्मण रेखा’ पार नहीं करनी चाहिए और न्यायपालिका के पास उसकी निगरानी करने का अधिकार है कि कोई भी संस्था सीमा को पार न करे। हालांकि उम्मीद के विपरीत शाम को दिल्ली कैंट के मांक्शा सेंटर में आयोजित तीसरे कार्यक्रम में यह तकरार आगे नहीं बढ़ी और मुख्य न्यायाधीश ने संविधान दिवस को मनाने के केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की।
श्री न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि वैसे तो दुनिया में कई लोकतांत्रिक देश हैं, लेकिन भारत में संविधान दिवस का अपना महत्व है क्योंकि इस पवित्र पुस्तक के माध्यम से भारत एक स्वतंत्र देश बन सका। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि इस ऐतिहासिक दस्तावेजों ने 500 से अधिक रजवाड़ों को एक सूत्र में पिरो दिया, विभिन्न जाति, भाषा और उपजाति के लोगों को समानता का अधिकार दिया। उन्होंने संविधान में वर्णित प्रावधानों की व्याख्या में देश के कानून विशेषज्ञों की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा, कि ” संविधान की व्याख्या केवल न्यायाधीशों ने नहीं की है, इस में कानूनी विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ” इस मौके पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने देश के निर्माण में भाग लेने वाले फ़रज़न्दों को उन्हें उचित सम्मान देने में देरी किए जाने पर सवाल भी खड़े किए। उन्होंने पूछा कि बाबा साहब अंबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे बालकों के मरने के वर्षों बाद भारत रत्न से सम्मानित किया जाना कई सवाल खड़े करते हैं।