हिंसा के लिए बदनाम इस इस्लामिक प्रचारक और धर्मगुरु ने माफ़ी मांगी!

सऊदी अरब के मशहूर मुफ़्ती और प्रचारक शैख़द आएज़ अलक़रनी ने हिंसा और उन्माद के रास्ते पर कई साल चलने के लिए माफ़ी मांगी है।आएज़ अलक़रनी उन प्रचारकों और मुफ़्तियों में हैं जो सीरिया संकट शुरू होने के समय फ़तवे दे रहे थे कि बश्शार असद की सरकार से लड़ना वाजिब है।

दमिश्क़ सरकार से लड़ना इस्राईल से लड़ने से भी अधिक ज़रूरी है।आएज़ अलक़रनी उन दिनों सऊदी सरकार के क़रीब थे लेकिन बाद में जब सऊदी अरब और क़तर का संकट शुरू हुआ और उन्होंने कुछ अन्य सऊदी मुफ़्तियों की तरह क़तर की आलोचना करने और उसके खिलाफ फतवा देने से आनाकानी की तो सऊदी सरकार के प्रकोप का निशाना बने।

बहरहाल अब शायद आएज़ अलक़रनी को एहसास हुआ है कि अतीत में उन्होंने बड़ा भयानक रास्ता चुना था जिसने सीरिया में हज़ारों नहीं लाखों लोगों की जाने लीं और दसियों लाख लोगों को बेघर और विस्थापित कर दिया। अतः उन्होंने अपने किए पर पछतावा ज़ाहिर किया है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, आएज़ अलक़रनी ने माफ़ी मांगी तो उनके आलोचकों ने सोशल मीडिया पर उनके वह वीडियो पोस्ट करना शुरू कर दिए जिनमें वह सीरिया संकट की आग में तेल डाल रहे थे और बार बार कह रहे थे कि बश्शार असद सरकार को गिरा देना चाहिए इस सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध करना इस्राईल से युद्ध करने से अधिक ज़रूरी और वाजिब है।

एक यूज़र ने ट्वीट किया कि किसी समय स्टार की तरह चमकने वाले यह मुफ़्ती अब लोगों की नज़रों में गिर गए हैं। यह लोग भटके हुए अत्याचारी शासकों के पदचिन्हों पर चले और अपनी इज़्ज़त गवां बैठे।

एक यूज़र ने लिखा कि हमें अतीत की बातों को छोड़ देना चाहिए और एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप से बचना चाहिए। मिस्र के लेखक अब्दुल हकीम हैदर अलहुजैली ने ट्वीट किया कि सऊदी अरब के सारे मुफ़्ती इस समय बड़ी कठिन परिस्थितियों में हैं सबके सिर पर तलवार लटक रही है।