हिन्दुस्तान की तरक़्क़ी की कहानी काम अभी जारी है

वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने जो मंसूबा बंदी कमीशन के सदर नशीन भी हैं आज अरकान से विदाई ख़िताब में कहा कि हिन्दुस्तान की तरक़्क़ी की कहानी काम अभी जारी है। उन्होंने कहा कि अभी काफ़ी दूर जाना है। बढ़ती हुई खुली और फ़राग़ दिल मईशत और बाज़ार के निज़ाम पर अज़ीम तर इन्हिसार के साथ हमें मंसूबा बंदी कमीशन के किरदार की अक्कासी भी करनी है जो वो इस नई दुनिया में अदा करेगें।

उन्होंने कमीशन के साथ अपनी तवील वाबस्तगी ज़ाहिर करते हुए यू पी ए के 10साला इक़्तेदार में कमीशन की कारकर्दगी पर इज़हार इतमीनान किया और उम्मीद ज़ाहिर की कि कमीशन ख़ुद एहतेसाबी से काम लेगा और पालिसी मुबाहिसा में हुकूमत और हमारे मुल्क की तरक़्क़ी में क़ाइदाना किरदार अदा करेगा।

वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि कमीशन को मसाइल का और मआशी इर्तिक़ा पज़ीर सूरत-ए-हाल में दरपेश चैलेंजस‌ का तख़मीना करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख़्तलिफ़ दौर केलिए हमारे पास हालात और रवैया दस्तयाब हैं क्या हम ने नई कारकर्दगी और ज़्यादा रिवायती सरगर्मीयों की कमीशन में तंज़ीम जदीद पर भी ग़ौर किया है।

वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह का मंसूबा बंदी कमीशन से वाबस्तगी का आग़ाज़ अप्रैल 1980 से हुआ था जब कि वो इस के मोतमिद मुक़र्रर किए गए थे। वो राजीव गांधी के दौर-ए-इक्तदार में कमीशन के नायब सदर नशीन भी थे। उन्होंने याददेहानी की कि 1991से 1996 तक जब कि वो मर्कज़ी वज़ीर फाइनेंस‌ थे उन्हें उस वक़्त के नायब सदर नशीन मंसूबा बंदी कमीशन और मौजूदा सदर जम्हूरिया प्रण‌ब मुख‌र्जी से ग़ैर मुतज़लज़ल ताईद हासिल हुई थी ।ये दौर मआशी तबदीलीयों का दौर था।

हमारी मईशत खोली जा रही थी और प्रण‌ब मुख‌र्जी से बेहतर शख़्सियत इस दौर में कमीशन की क़ियादत केलिए कोई और नहीं थी। यू पी ए के गुज़िशता 10साला दौर-ए-इक्तदार में कमीशन ने हुकूमत को तरक़्क़ी की नई राहें तलाश करने में मदद दी कारकर्दगी को बेहतर बनाया और इत्तिफ़ाक़ राय पैदा किया।

मर्कज़ी-ओ-रियासती सतहों पर मुबाहिस में हिस्सा लिया। कमीशन के इक़दामात की सताइश करते हुए मर्कज़ ज़ेरे सरपरस्ती स्कीमस की तादाद में कमी करने की ख़ाहिश की। उन्होंने कहा कि मज़ीद किफ़ायत शिआरी ज़रूरी है। वज़ीर-ए-आज़म ने याद दिलाया कि कमीशन ने मुख़्तलिफ़ पोलिसीयों के मसाइल पर इत्तेफ़ाक़ राय पैदा करने में अहम रोल अदा किया।

मख़लूत हुकूमत के पेशे नज़र इत्तेफ़ाक़ राय पैदा करना और मसाइल की यकसूई मंसूबा बंदी कमीशन के लिए एक चैलेंज‌ था और कमीशन हुकूमत केलिए एक अहम असासा साबित हुआ। उन्होंने कहा कि कमीशन ने नए नज़रियात पेश करने बैन विज़ारती इख़तेलाफ़ात की यकसूई और सरकारी । ख़ानगी शराकतदारी की हिक्मत-ए-अमली ताकि इनफ्रास्ट्रक्चर की तरक़्क़ी होसके अहम किरदार अदा किया।