हिन्दुस्तान में मेयारी-ओ-अख़लाक़ी पर तवज्जु ज़रूरी

मुल्क के अवाम को रिवायती अख़लाक़ी इक़दार को लाहक़ ख़तरात और चैलेंजस से निमटने के लिए मुम्किना इक़दामात करने होंगे। सदर जम्हूरीया प्रणब मुख‌र्जी ने आज ये बात कही और हिन्दुस्तान में तालीम में हक़ीक़ी मानी में तवज्जु मर्कूज़ करने की ज़रूरत ज़ाहिर की।

उन्होंने कहा कि हमारे नौजवानों को अख़लाक़ी इक़दार और मादर-ए-वतन से मुहब्बत का सबक़ सिखाने, ज़िम्मेदारीयों की अंजाम दही, ख़वातीन की इज़्ज़त, दियानतदारी और पाबंद डिसिप्लिन बनाने में तालीमी इदारे अहम रोल अदा करते हैं। सदर जम्हूरिया राजीव गांधी यूनीवर्सिटी के बारहवीं कानोकीशन से ख़िताब कररहे थे।

उन्होंने कहा कि तालीम किसी उभरते और रोशन समाज की असल ताक़त है। अच्छी तालीम के नतीजे में मुख़्तलिफ़ नकात नज़र रखने वालों के माबैन बाहमी रवादारी को फ़रोग़ मिलता है। उन्होंने कहा कि हमारे मुल्क ने मआशी तरक़्क़ी के मामले में अच्छा मुज़ाहरा किया लेकिन अब भी हम हक़ीक़ी मानी में तरक़्क़ी याफ़ता समाज होने का दावा नहीं कर सकते।

सदर जम्हूरिया ने कहा कि तरक़्क़ी सिर्फ़ फ़ैक्ट्रीज़ और सड़कें नहीं हैं। मेरी नज़र में तरक़्क़ी, अवाम, उनके इक़दार और हमारे क़ौमी रुहानी-ओ-तहज़ीबी विरसा के तहफ़्फ़ुज़ के लिए उनकी कोशिशों पर मबनी है। ऐसे वक़्त जबकि रिवायती अख़लाक़ी इक़दार को चैलेंजस दरपेश हैं और इस के लिए मुम्किना इक़दामात की ज़रूरत है, इन हालात में अख़लाक़ी तालीम की एहमीयत और भी बढ़ जाती है।

सदर जम्हूरिया ने कहा कि आज भी हमारी यूनीवर्सिटीज़ दुनिया की बेहतरीन यूनीवर्सिटीज़ से पीछे हैं। दुनिया की टाप 200 यूनीवर्सिटीज़ में हिन्दुस्तान की एक भी यूनीवर्सिटी को जगह नहीं मिल सकी। यक़ीनन ये हमारे लिए बाइस तशवीश है। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान आलमी ताक़त बनने जा रहा है लेकिन सिर्फ़ तिब्बी वुसअत काफ़ी नहीं। हमें मेयार को वुसअत देने की कोशिश करनी चाहिए।