अगर आपको बार बार कमर दर्द हो तो हल्के में न लें, हो सकती बड़ी समस्या!

अक्सर आपने मधुमेह या डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को मोटापे के साथ कमर दर्द की शिकायत करते सुना होगा। अगर आप ऐसे लोगों से बात करें, तो आपको यह पता लगेगा कि यह कमर दर्द बैठे-बैठे कम होता है, पर जब चलना शुरू करते हैं, वैसे ही दर्द तेजी से उभरता है और इस दर्द की तीव्रता बढ़ती चली जाती है।

अगर चलना अचानक बंद कर दें, तो कमर दर्द कम होना शुरू हो जाता है और अंत में गायब हो जाता है। इस तरह के कमर दर्द को ज्यादातर लोग लंबर स्पॉन्डिलोसिस या सियाटिका का दर्द समझ लेते हैं और वे अस्थि रोग विशेषज्ञ के पास चले जाते हैं, जबकि यह दर्द उपरोक्त समस्याओं से नहीं होता।

किसी व्यक्ति को जब कमर दर्द होता है, तो उसके ज्यादातर दो कारण होते हैं। एक कमर की पुरानी चोट जो अधिकतर जमीन पर गिर जाने से लगती है। दूसरा कारण मोटापा और पर्याप्त रूप से न चलने की वजह से होता है।

जब किसी व्यक्ति की दिनचर्या ऐसी होती है जिसमें ज्यादातर समय उसे बैठना पड़ता है और वह व्यायाम नहीं करता है, तब रीढ़ की हड्डियों में कड़ापन आ जाता है जिससे उनमें लचीलापन का अभाव हो जाता है। ऐसे लोग जब हरकत में आते हैं तो कमर दर्द की शिकायत करते हैं।

डायबिटीज के मरीज में कमर दर्द का ज्यादातर कारण कमर व जांघ को शु़द्ध रक्त की होने वाली सप्लाई में स्थायी रूप से कमी होना है। अगर डायबिटीज के मरीज को बैठे-बैठे ही कमर दर्द होता है तो इसका सीधा मतलब यह है कि शुद्ध रक्त की सप्लाई में काफी कमी आ गई है। रक्त की उपलब्धता में कमी होने की वजह से होने वाले दर्द को मेडिकल भाषा में ‘एंजाइना’ कहते हैं।

जैसे दिल की दीवारों में शुद्ध रक्त की सप्लाई में कमी होने से ‘सीने के एंजाइना’ की शिकायत हो जाती है, ठीक उसी तरह से कमर की मांसपेशियों और अंगों को शुद्ध रक्त की पर्याप्त उपलब्धता के अभाव में कमर का एंजाइना या ‘वेस्ट एंजाइना’ की शिकायत हो जाती है।

अगर चेस्ट एंजाइना को लेकर लापरवाही की गई तो ‘हार्ट अटैक’ का खतरा बढ़ जाता है, ठीक उसी तरह कमर के एंजाइना को अगर नकारा गया, तो पैरों में गैंगरीन होने का खतरा बढ़ जाता है।

साभार- ‘दैनिक जागरण’