क़ुर्बानी के जानवरों की ना वाजिबी तिजारत से एहितराज़ का मश्वरा

हैदराबाद 31 अक्टूबर (रास्त) कन्वीनर शरीयत इन्फ़ार्मेशन सरवेस मस्जिद आलीया ने प्रैस नोट में बतायाकि पिछले चंद बरसों से बक़रईद के मौक़ा पर ये एहसास आम है कि चंद मुतमव्विल ताजिर, जिन का जानवरों की ख़रीद-ओ-फ़रोख़त से कोई ताल्लुक़ नहीं होता और मनफ़अत पेशे नज़र रहती है, ईद-उल-अज़हा से कुछ यौम क़बल शहरों में लाए जाने वाले जानवरों के मंदों के मालिकों से जबकि वो शहर के क़रीबी रास्तों पर पहुंचते हैं ख़रीदी करलेते हैं।

यही जानवर शहर की शाहराहों और गली कूचों में ना वाजिबी इज़ाफ़ा से फ़रोख़त किए जाते हैं। बाज़ारों में क़िल्लत की अफ़्वाहें भी फैलाई जाती हैं और इस तरह गाहक ना वाजिबी इज़ाफ़ा दामों में ख़रीदने के लिए या ज़्यादा क़ीमत अदा करके ज़ेरबार होजाते हैं या फिर फ़रीज़ा-ए-क़ुर्बानी की अदाई से महरूम होजाते हैं।

मुनासिब होगा कि ऐसे तमाम ताजिर जो इस तरह के कारोबार में मुलव्विस होते हैं वो इस तरह के कारोबार से अहितराज़ करें ताकि एक दीनी फ़रीज़ा यानी क़ुर्बानी की अदाई में रुकावट ना हो।