ख़ानगी तालीमी इदारों में फ़ीस को बाक़ायदा बनाने का मन्सूबा

हैदराबाद 22 मार्च: डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर-ओ-वज़ीर-ए-तालीम कडीम श्री हरी ने कहा कि ज़ाइद फ़ीस वसूल करने वाले तालीमी इदारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि हुकूमत ख़ानगी तालीमी इदारों में फ़ीस को बाक़ायदा बनाने का मन्सूबा रखती है। हुकूमत ने सरपरस्तों की शिकायात पर शहर में 12 ख़ानगी स्कूलस को नोटिस जारी की है, उनमें से बाज़ स्कूलों ने अपना जवाब दाख़िल किया जबकि बाज़ दूसरों ने अदालत में मुक़द्दमे का बहाना बनाया। हुकूमत स्कूलों के जवाबात का जायज़ा लेकर कार्रवाई करेगी। उन्होंने ओलयाए तलबा और स्कूल इंतेज़ामीया का मीटिंग मुनाक़िद करने का भी एलान किया। वकफ़ा-ए-सवालात के दौरान ग़ैर मुस्लिमा ख़ानगी मदारिस से मुताल्लिक़ सवाल का जवाब देते हुए डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर ने एतराफ़ किया कि ख़ानगी तालीमी इदारे तलबा से ज़ाइद फ़ीस वसूल कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि रियासत में पहली जमातता 10 वीं जमात 60 लाख स्टूडेंट्स ज़ेरे तालीम हैं , जिनमें 31 लाख स्टूडेंट्स ख़ानगी तालीमी इदारों में हैं जबकि 29 लाख तलबा सरकारी मदारिस में ज़ेरे तालीम हैं। उन्होंने बताया कि रियासत में 14 हज़ार ख़ानगी तालीमी इदारे हैं। हुकूमत को शिकायात मिली हैं कि इंटरनेशनल, कॉन्सेप्ट , मॉडल और दुसरे नामों से मुख़्तलिफ़ स्कूलों का जाल बिछाया गया है जिनमें ज़ाइद फ़ीस वसूल की जा रही है। डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर के मुताबिक़ मुत्तहदा आंध्र प्रदेश में फ़ीस बाक़ायदा बनाने के लिए जीओ 91 जारी किया गया था, जिसमें ज़िला वारी सतह पर फ़ीस रेगूलेटरी कमेटी के क़ियाम की गुंजाइश थी। इस जीओ के ख़िलाफ़ तालीमी इदारों ने हाइकोर्ट में दरख़ास्त दाख़िल की और अदालत ने जीओ को कैंसिल कर दिया।

हुकूमत ने हाइकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीमकोर्ट में अपील की है और ये मुआमला ज़ेर अलतवा है। कडीम श्रीहरी ने कहा कि आंध्र प्रदेश में जीओ 42 जारी किया गया था जिसमें दाख़िले के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट और क्या पेटीशन फ़ीस पर इमतेना आइद किया गया। हाइकोर्ट ने इस जीओ पर हुक्म अलतवा जारी किया है और ये मुआमला हाइकोर्ट में ज़ेर दौरान है।

उन्होंने कहा कि 2009 में क़ानून हक़ तालीम को मंज़ूरी दी गई। ताहम इस क़ानून पर रियासतों को इख़तेलाफ़ है। इस क़ानून पर अमल आवरी से सरकारी तालीमी इदारों की बका को नुक़्सान होगा। उन्होंने वाज़िह किया कि हुकूमत का मक़सद ख़ानगी तालीमी इदारों की हौसलाशिकनी करना नहीं है बल्कि ज़ाइद फ़ीस की वसूली रोकना उस का मक़सद है।