ज़बान को बढ़ावा देने जदीद वसाइल के इस्तेमाल का सदर जमहूरीया प्रणब मुकर्जी का मश्वरा

सदर जमहूरीया हिंद प्रणब मुकर्जी ने आज कहा कि हिंदूस्तानी ज़बानों के उन के मालामाल सक़ाफ़्ती विरसे को अगली नसलों के लिए महफ़ूज़ करने के लिए हमें असरी वसाइल इस्तेमाल करने चाहिऐं। वो विश्वा मलायाला महा उत्सव । 2012 का केराला यूनीवर्सिटी के सेंट हाल में इफ़्तिताह कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि हमारी मीठी ज़बानों के तहफ़्फ़ुज़ और फ़रोग़ के लिए ज़रूरी है कि हम तमाम दस्तयाब असरी वसाइल इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि ताहम ज़बान को रिवायती इक़दार और तहज़ीबी विरसे से माला होना चाहीए। इसको अपनी असरी माअनवियत और मक़बूलियत नहीं होना चाहीए और ऐसी ज़बानों के तहफ़्फ़ुज़ के लिए हमें जदीद तरीन दस्तयाब वसाइल इस्तेमाल करना चाहीए।

प्रणब मुकर्जी ने कहाकि मलयालम यूनीवर्सिटी का एक‌ नवंबर को तरवर मे इफ़्तिताह होगा। मलयालम का तहफ़्फ़ुज़ और इस ज़बान की तशहीर का अवाम पर मुसबत असर मुरत्तिब होगा। क्योंकि मलयालम ज़बान केराला मे तहज़ीबी और अदबी तरक़्क़ी की अलामत है।

कई सदीयों से ये ज़बान लगातार‌ तरक़्क़ी करती आरही है हालाँकि उस की एक मुनफ़रद शनाख़्त है लेकिन केराला इस के साथ ही साथ नए अनासिर और नए लोगो का खुले दिल से इस्तिक़बाल करने के लिए हमेशा तैय्यार रहता है। उन्होंने कहा कि मलयालम हिंदूस्तानी तहज़ीब के लिए एक मुनफ़रद नेमत है और कसरत में वहदत की मुनफ़रद मिसाल है।

उन्होंने कहा कि हिंदूस्तानी तहज़ीब का कैनवस बहुत वसीअ, रंगारंग और मुनफ़रद है ओरया तहज़ीबी विरसे और सक़ाफ़्ती रवायात से मलयालम है क्योंकि हमारा मुल़्क मुख़्तलिफ़ नौईयत के मुआशरों का वतन है। इसी लिए हिंदूस्तान की कसरत में वहदत हमेशा पायदारी और तरक़्क़ी की गुंजाइश रखती है।

उन्होंने कहा कि हिंदूस्तान पुरमुसर्रत बकाए बाहम का क़ाइल है और मलयालम इस मलयालम तारीख़ , तहज़ीब, फुनूने लतीफ़ा और तहज़ीबी विरसे की तक‌सीम और निचोड़ है।