फ़न्नी असातिज़ा के साथ 30 साल से नाइंसाफ़ी

मदनूर 18 जनवरी: मुहम्मद फ़ज़ल उल रहमान के सहाफ़ती बयान के मुताबिक़ टेक्नीकल टीचर्स की भर्ती 1982 में आख़िरी बार हुई थी, लेकिन इन पोस्टों की भर्ती को तेलुगू देशम दौरे हुकूमत में चीफ़ मिनिस्टर एन टी रामा राव‌ ने ये कहते हुए बर्ख़ास्त कर दिया था कि ये पोस्ट बेकार है, जब कि स्कूली बच्चों में तालीम के साथ साथ टेक्नीकल तर्बीयत भी ज़रूरी है, क्युं कि बच्चे और बच्चीयां पढ़ाई के साथ साथ टेक्नीकल के भी माहिर होते हैं। जैसे टेलरिंग, एम्ब्रॉयडरी, ड्राइंग वग़ैरा में महारत हासिल करके रोज़गार हासिल करलेते हैं और अपने गारमेंटस भी तैयार कर सकते हैं।

बहुत दिनों से चीफ़ मिनिस्टर्स से उन टेक्नीकल पोस्टों की भर्ती के लिए नुमाइंदगी की गई और बिलआख़िर हाईकोर्ट में भी अपील की गई। आख़िर में कोर्ट का फ़ैसला हुआ कि तमाम टेक्नीकल ट्रेनिंग हासिल करने वाले तलबा को स्कूलों में भर्ती किया जाये और इस के बाद हुकूमत इन पोस्टों को राजीव विद्या मिशन, सरवा सिखशा अभियान के तहत जिन स्कूलों में तलबा की तादाद 100 से ज़्यादा हो, वहां पर टेक्नीकल टीचर की भर्ती की इजाज़त विद्या कमेटी के चैर पर्सन और हेडमास्टर को दी गई और वो भी एक साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर, जो कि हुकूमत की तरफ से सरासर नाइंसाफ़ी है।