फ़लस्तीनीयों की अक़वाम-ए-मुत्तहिदा का मुस्तक़िल रुकन बनने की कोशिश नाकाम होगी नतिन याहू का दावा

यरूशलम 18 सितंबर (पी टी आई) नतिन याहू ने कहा कि फ़लस्तीनीयों की अक़वाम-ए-मुत्तहिदा का मुस्तक़िल रुकन बनने की कोशिश यक़ीनी तौर पर नाकाम होगी। वज़ीर-ए-आज़म इसराईल बिंजा नब नतन याहू ने आज कहा कि उन्हों ने अह्द किया है कि जनरल असैंबली में सच्चाई पेश करेंगे। यहूदी ममलकत 150 रुकनी जनरल असैंबली मैं ख़ुद को बिलकुल यक्का-ओ-तन्हा महसूस कररही है क्योंकि फ़लस्तीन को ममलकत का दर्जा देने की अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की क़रारदाद पर राय दही में शिरकत करने वाले तमाम ममालिक की क़रारदाद की ताईद करने का इमकान है। नतन याहू ने काबीना के हफ़तावार इजलास में अपने साथी वुज़रा से कहा कि फ़लस्तीनीयों की अक़वाम-ए-मुत्तहिदा का मुस्तक़िल रुकन बनने की ख़ाहिश यक़ीनी तौर पर नाकाम होगी। क्योंकि उन्हें सलामती कौंसल से भी गुज़रना होगा। उन्हों ने कहा कि हालाँकि फ़लस्तीनी अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की जनरल असैंबली का रुख करसकते हैं लेकिन इस की इतनी नुमायां एहमीयत नहीं होगी जितनी कि सलामती कौंसल की है और ये फ़लस्तीनीयों का मुबय्यना मक़सद नहीं है। इसराईल में आम एहसास पाया जाता है कि इस का क़रीबी हलीफ़ अमरीका फ़लस्तीनी अथॉरीटी के सलामती कौंसल से मुस्लिमा हैसियत हासिल करने इक़दाम को वीटो (मुस्तर्द) करदेगा। इस तरह जनरल असैंबली की क़रारदाद कुलअदम हो जाएगी। ताहम इसराईल के सयासी तजज़िया निगारों का एहसास है कि फ़लस्तीनीयों को इस क़रारदाद के सिलसिले में ग़ालिब अक्सरीयत की ताईद हासिल होने से ज़ाहिर हो जाएगा कि इसराईल बैन-उल-अक़वामी बिरादरी में रोज़ बरोज़ ज़्यादा से ज़्यादा यक्का-ओ-तन्हा होता जा रहा है। इस के मशरिक़-ए-वुसता का क़रीबी हलीफ़ ममालिक तुर्की, मिस्र और अरदन हाल ही में यहूदी ममलकत के दुश्मन होचुके हैं। नतन याहू ने गुज़श्ता हफ़्ता फ़ैसला किया था कि वो आइन्दा जुमा अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की जनरल असैंबली से ख़िताब करेंगे। इसी दिन फ़लस्तीनी मुकम्मल ममलकत का दर्जा हासिल करने की अपनी क़रारदाद जनरल असैंबली में पेश करेंगे। इन के दौरा-ए-अक़वाम-ए-मुत्तहिदा का मुबय्यना मक़सद इस बात को यक़ीनी बनाना है कि फ़लस्तीनीयों का मुतालिबा कामयाब ना होसके और वो अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की जनरल असैंबली में सच्चाई पेश करसकें जो उन के बमूजब ये है कि इसराईल के शहरी ग़ैर मुल्की नहीं हैं। इन का इस सरज़मीन पर 4 हज़ार साल पुराना हक़ है।