10-12 प्रतिशत महिलाएं कर रही हैं समय से पहले ओवेरियन फेल्योर का सामना: नोवा IVI फर्टिलिटी

श्रीमती शुभांगी (अनुरोध पर नाम परिवर्तित) एक 32 वर्षीय महिला, जिनकी शादी को सात वर्ष हो चुके थे, छः महीने से मासिक धर्म न आने के कारण नोवा आई.वी.आई. फर्टिलिटी क्लिनिक में परामर्श के लिए आईं। पिछले तीन वर्षों में वो कई बार आई.यू.आई. प्रक्रिया करवा चुकी थीं, लेकिन गर्भधारण नहीं कर सकीं। हमारे पास जब वो पहली बार आईं, तो हमने पहली ही जांच में उनका एक अल्ट्रासाउण्ड किया। उनके एंट्रल फॉलिकल काउंट के आधार पर उनका ओवेरियन रिजर्व बहुत कम पाया गया।

ए.एम.एच. नामक हॉर्मोन टेस्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई। उन्हें दो महीनों के लिए साईक्लिक ईस्ट्रोजेन एवं प्रोजेस्टरॉन की गोलियों का परामर्श दिया गया, जिससे कि उनकी गर्भाशया लाइनिंग या ऐन्डोमैट्रियम तैयार हो सके। तीसरे महीने में वो डोनर एग आई.सी.एस.आई. प्रक्रिया से गुजरीं, जहां किसी अज्ञात अंडाणु-दाता महिला द्वारा दिये गये अंडों को शुभांगी के पति के शुक्राणुओं या स्पर्म्स के साथ निषेचित कराया गया। शुभांगी के गर्भ में दो भ्रूण डाले गये और दस दिन बाद प्रैग्नेंसी टेस्ट सकारात्मक पाया गया। उन्होंने सामान्य रूप से गर्भावस्था गुजारी और नौ महीने बाद एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया।

समयपूर्व डिम्बग्रंथि विफलता (पीओएफ) जिसे समयपूर्व डिम्बग्रंथि अपर्याप्तता भी कहा जाता है, एक ऐसी अवस्था है, जहां अंडाशय में अंडों की संख्या कम उम्र में ही (40 साल से पूर्व) कमजोर हो जाती है, जिस वजह से गर्भावस्था की संभावनाएं कम हो जाती हैं। आम तौर पर अंडाशय में रोम 40 से 45 वर्ष की उम्र तक अंडों के साथ महिलाओं की आपूर्ति करते हैं – ये औसत पेरीमेनोपॉजल उम्र है जहां पहुंच कर महिलाओं के शरीर में अंडों का भण्डार समाप्त होने लग जाता है। पी.ओ.एफ. के मामलों में ऐसी ही मैनोपॉज की स्थिति 30 वर्ष से भी छोटी महिलाओं में पाई जा सकती है।

इंस्टीट्यूट फॉर सोश्यल एंड इकोनॉमिक चेंज (आई.एस.ई.सी.) द्वारा किये गये एक अध्ययन से पता चला है कि 1-2 प्रतिशत भारतीय महिलाओं ने 29 से 34 वर्ष की आयु के बीच मैनोपॉज या रजोनिवृत्ति के लक्षणों का अनुभव किया है। इसके अतिरिक्त, 35 से 39 वर्ष की आयु की महिलाओं में यह आंकड़ा 8 प्रतिशत तक बढ़ गया।

नोवा आई.वी.आई. फर्टिलिटी, मुंबई की फर्टिलिटी कंसल्टेंट, डॉ. सुलभा अरोरा ने कहा, ‘‘जब अंडाशय असफल हो जाते हैं, तो वे सामान्य मात्रा में ईस्ट्रोजेन हॉर्मोन का उत्पादन नहीं करते और नियमित रूप से अंडों को उत्पन्न नहीं करते। अंडाशय में इस तरह अंडों की संख्या कम होने के कारण महिला की प्रजनन क्षमता कम हो जाती है और उनके लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। इस अवस्था के कुछ जाने माने और अच्छी तरह से प्रलेखित जोखिम कारक मौजूद हैं, और इनमें ऑटो-इम्यून कारणों की उपस्थिति या संदेह को महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए।

कारण और लक्षण

लाइफस्टाइल में परिवर्तन जैसे धूम्रपान, अनियंत्रित गर्भनिरोधक गोली का उपयोग, पिछली डिम्बग्रंथि सर्जरी, एंटी कैन्सर थेरपी और पारिवारिक पी.ओ.एफ. कम उम्र में डिम्बग्रंथि रिजर्व कम हो जाने के कुछ ज्ञात कारण हैं। एक्स क्रोमोजोम असमान्यताएं, ऑटोजोमल कारण, गैलेक्टोसेमिया, ऑटो-इम्यून विकार, कैन्सर उपचार, टर्नर सिंड्रोम, एंजाइम दोष और पर्यावरण विषाक्त पदार्थ कुछ अन्य कारक हैं जो समय से पहले मैनोपॉज होने के कारण हो सकते हैं। कई मामलों में कोई ठोस कारण नहीं होता (इसे इड्योपैथिक कहते हैं)।

समयपूर्व डिम्बग्रंथि विफलता कुछ हद तक पूर्वकथनीय है और यह कारण उन मामलों में ध्यान में रखना चाहिए जब युवा महिलाओं को मासिक धर्म समय पर आना बंद हो जाए। कभी कभी कुछ महीनों के लिए मासिक धर्म नियमित रूप से आ भी सकता है और फिर कुछ महीनों के लिए बंद हो जाता है। उन्हें समयपूर्व मैनोपॉज के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे-तेज गर्माहट (हॉट फ्लैशेज), रात को पसीना छूटना, नींद की समस्याएं, घबराहट, मूड स्विंग्ज, योनी का सूखापन, थकान, कामेच्छा की कमी, दर्दनाक यौन संबंध और मूत्राशय नियंत्रण की समस्याएं।

कारण के आधार पर, पी.ओ.एफ. किशोरावस्था जैसी कम उम्र में भी हो सकता है, या जन्म से भी। पी.ओ.एफ. से पीड़ित महिलाओं के लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है, पर असंभव नहीं है।

उपचार का विकल्प

डॉ. अरोरा ने आगे बताया, ‘‘दुर्भाग्यवश, पी.ओ.एफ. का कोई इलाज नहीं है और डिम्बग्रंथि रिजर्व पर उम्र के प्रभावों को उल्टा नहीं किया जा सकता। ईस्ट्रोजेन के स्तर में गिरावट के कारण होने वाली हॉर्मोनल परिवर्तनों का इलाज किया जा सकता है, परंतु ज्यादातर प्रजनन क्षमता लौटाई नहीं जा सकती। अगर रिजर्व कम है पर पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है, तो महिलाएं गोनाडोट्रॉपिन की अधिकतम सुरक्षित खुराक के साथ आई.वी.एफ – आई.सी.एस.आई. का प्रयास कर सकती है। ग्रोथ हॉर्मोन और डी.एच.ई.ए. जैसी गुणवर्धक औषधियों का भी उपयोग कुछ मामलों में देखा गया है, पर सफलता की संभावना अपने खुद के अंडों के साथ कम ही रहती है। डोनर एग आई.वी.एफ. ऐसे मामलों में आदर्श उपचार विकल्प है, और स्थापित डिम्बग्रंथि विफलता के बाद एकमात्र उपचार विकल्प है।’

पी.ओ.एफ. से पीड़ित महिलाओं को इस स्थिति के बारे में शिक्षा दी जानी चाहिए, परामर्श और मनोवैज्ञानिक समर्थन दिया जाना चाहिए, क्योंकि उन्हें मध्यम से गंभीर अवसाद का खतरा होता है, खास तौर पर निस्संतान महिलाओं को। इन महिलाओं के लिए हॉर्मोन प्रतिस्थापन चिकित्सा अनिवार्य है, क्योंकि वे ऑस्टियोपोरोसिस, कार्डियोवैस्क्युलर विकारों और कोरोनरी हृदय रोगों के विकास के जोखिम में है। शारीरिक गतिविधि, कैल्शियम समृद्ध आहार, विटामिन डी पूरक और सिगरेट धूम्रपान से बचने के सामान्य उपाय पर चर्चा की जानी चाहिए। निस्संतान महिलाओं के लिए डोनर एग आई.वी.एफ. या गोद लेने के सुझाव दिये जा सकते हैं।

1.2 अरब की जनसंख्या वाले देश में, अनुमान लगाया गया है कि 30 मिलियन जोड़े बांझपन से पीड़ित हैं। बांझपन का सामना करने वाली युवा महिलाओं की बढ़ती घटनाएं और भी चिंताजनक हैं। एक अवस्था जो आम तौर पर प्र्रौढ़ दम्पतियों में देखी जाती थी, निस्संतानता अब 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं भी बढ़ती जा रही है।