1984 दंगों के बयान पर सैम पित्रौदा को शर्म आनी चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए- राहुल गाँधी

वर्ष 1984 के दंगों पर सैम पित्रौदा की टिप्पणी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा द्वारा लगातार कांग्रेस पर निशाना साधे जाने के बीच पार्टी प्रमुख राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि उन्हें (पित्रौदा) अपने आप पर शर्म आनी चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए। गांधी यहां फतेहगढ़ साहिब (आरक्षित सीट) पर शिअद के डी एस गुरू के खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार अमर सिंह के पक्ष में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक पंजाब के फतेहगढ़ में सोमवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, “सैम पित्रोदा ने 1984 दंगों के बारे में जो कहा वो बिल्कुल गलत है और उन्हें इस बात के लिए राष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए। मैंने उन्हें फोन पर यह बताया। मैंने उनसे कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा वो पूरी तरह से गलत था। उन्हें शर्मिंदा होना चाहिए और सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए।”

1984 में दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक सवाल के जवाब में पित्रोदा ने बीते 9 मई को कहा था कि अब क्या है 84 का? आपने (नरेंद्र मोदी) पांच साल में क्या किया, उसकी बात करिए। 84 में जो हुआ, वो हुआ। जिसके बाद भाजपा ने कांग्रेस की आलोचना की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने अगले दिन 10 मई को इसी का हवाला देते हुए हरियाणा के रोहतक में आयोजित एक रैली में कहा था कि कांग्रेस आजकल अचानक न्याय की बात करने लगी है। कांग्रेस को बताना पड़ेगा कि 1984 के दंगों का हिसाब कौन देगा?

सैम पित्रोदा को देनी पड़ी थी सफाई
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े अपने एक कथित बयान को लेकर भाजपा के हमले पर पलटवार करते हुए शुक्रवार (11 मई) को कहा था कि सत्तारूढ़ पार्टी अपनी नाकामियां छिपाने के लिए उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा था, ”भाजपा एक साक्षात्कार में कहे मेरे तीन शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है ताकि वह तथ्यों को अपने हिसाब से गढ़ सके, हमें बांट सके और अपनी नाकामियां छिपा सके। यह दुखद है कि उनके पास देने के लिए कुछ भी सकारात्मक नहीं है।”

पित्रोदा ने कहा था, ”1984 में मुश्किल समय में अपने सिख भाइयों-बहनों के दर्द का मुझे अहसास था और उन अत्याचारों के बारे में आज भी महसूस करता हूं। परंतु ये चीजें अतीत की हैं और इस चुनाव में प्रासंगिक नहीं हैं। यह चुनाव इस पर लड़ा जा रहा है कि मोदी सरकार ने पांच वर्षों में क्या किया है।”