20 लाख रूपए प्रतिवर्ष तक का कारोबार जीएसटी के दायरे से बाहर

नयी दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि 20 लाख रूपए प्रतिवर्ष तक का कारोबार देश में एक समान कर व्यवस्था करने वाली वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के दायरे से बाहर रहेगा। जीएसटी परिषद की दो दिन तक चली बैठक के बाद जेटली ने यहां संवाददाताओं को बताया कि बैठक में सभी राज्यों के बीच यह आम राय थी कि किसी के साथ भी विशेष व्यवहार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि कर का आकलन करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा और इससे करदाताओं तथा उद्योग को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि कर निर्धारण के लिए दो संस्था नहीं हो सकते। इसलिए इस जटिल और महत्वपूर्ण विषय के लिए स्पष्ट दिशा निर्देशाों की जरूरत है। सभी कर अधिकारियों को कर के संबंध में प्रशिक्षित किया जाएगा और उसके संबंध में स्पष्ट दिशा निर्देश दिए जाएगें। उन्होंने कहा कि 20 लाख रूपए तक का कारोबार जीएसटी के दायरे से बाहर रहेगा।

जीएसटी लागू करने के संबंधित विधेयकों के बारे में जेटली ने कहा कि इसके लिए विचार विमर्श के लिए चार प्रारुप तैयार किए जाएगें और इन्हें सभी राज्यों को उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्यों को विस्तृत अध्ययन के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा। जेटली ने बताया कि जीएसटी की अगली बैठक 24 और 25 नवंबर को होगी और प्रारुपों पर विचार करेगी। संबंधित मंत्रियों की 20 नवंबर को अनौपचारिक बैठक होगी। इसके बाद औपचारिक बैठक होगी। बैठक का ब्योरा देेते हुए उन्होंने बताया कि बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की गयी। करदाताओं के संबंध में राज्यों और केंद्र के दायरे में स्पष्ट निर्धारण का सुझाव दिया गया। इसके लिए 1़.5 करोड़ रुपए के कारोबार की सीमा की सलाह दी गयी। उन्होंने कहा कि जीएसटी के संबंध में ज्यादातर महत्वपूर्ण मुद्दों के संबंध में विचार विमर्श हो चुका है। यह बहुत जटिल मामला है और इस तरह का कानून देश में पहली बार लागू हो रहा है। सरकार इस संबंध मे हडबडी में नहीं है।

उन्होंने कहा कि अभी तक की चर्चा में 10 मुद्दों पर सहमति हो चुकी है और निर्णय लिए जा चुके हैं। जीएसटी परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। परिषद की दो दिन की बैठक में लिए गए फैसलों से केंद्रीय जीएसटी और एकीकृत जीएसटी संबंधी विधेयकों का मार्ग प्रशस्त होगा। संसद के शीतकालीन सत्र से लगभग दो सप्ताह पहले हो रही इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लिया गया है। सरकार चाहती है कि शीतकालीन सत्र से पहले राज्यों के साथ ज्यादा से ज्यादा मुद्दों पर सहमति बना ली जाए । संसद का शीतकालीन सत्र 16 नवंबर से प्रस्तावित है। सरकार ने जीएसटी को एक अप्रैल 2017 से लागू करने की योजना बनाई है।