2012 रुख़सत होते होते इस्मत रेज़ि का दाग़ दे गया

मुंबई, 01 जनवरी: (एजेंसी) हर साल जब 31 दिसंबर की तारीख आती है तो ये बात अज़ ख़ुद ज़हन में आ जाती है कि गुज़रने वाला साल हमारे लिए कैसा रहा। हमने क्या खोया क्या पाया? बहरहाल यूं तो कई वाक़ियात हैं जिन्होंने 2012 के दौरान लोगों के ज़हनों को झिंझोड़ दिया लेकिन 2012 ने जाते जाते इस्मत रेज़ि का एक एसा वाक़िया दे दिया जो आने वाले कई बरसों तक हमारे ज़हनों से महव ( खत्म) नहीं होगा।

23 साला लड़की की चलती बस में 16 दिसंबर को इजतिमाई इस्मत रेज़ि की गई थी। ज़ालिमों ने सिर्फ़ उसी पर इकतिफ़ा नहीं किया बल्कि उन्होंने लड़की को ज़बरदस्त तरीका से ज़द‍ ओ‍ कूब किया जिससे इसके आज़ा के रेशा शदीद तौर पर मुतास्सिर हुए।

जब दिल्ली में ईलाज नाकाफ़ी लगने लगा तो उसे सिंगापुर के हॉस्पिटल मुंतक़िल किया गया लेकिन बदक़िस्मती से पेचीदा से पेचीदा मुआमलात का ईलाज करने के लिए मशहूर एलिज़ाबेथ हॉस्पिटल मुतास्सिरा लड़की की जान नहीं बचा सका और बिलआख़िर वो वहीं पर फ़ौत हो गई ।

प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का मुताला करने वाले ज़्यादातर लोग लड़की के नाम से भी वाक़िफ़ नहीं थे क्योंकि हालिया दिनों में इस के नाम का इन्किशाफ़ नहीं किया गया था । इसका नाम निर्भय बताया गया है जिसका मतलब होता है निडर। इस नामालूम और अंजाम लड़की की मौत पर सारे मुल्क में रंज-ओ-अलम के बादल इस तरह छा गए जैसे वो हिंदूस्तान की कोई रिश्तेदार यह दोस्त हो। यूं तो इस्मत रेज़ि के कई मुआमलात मंज़रे आम पर आते हैं लेकिन चलती बस में इजतिमाई इस्मत रेज़ि के इस मुआमला को जितनी तशहीर मिली इसकी नज़र नहीं मिलती।

बहरहाल तशहीर मिले या ना मिले लेकिन मुतास्सरीन को इंसाफ़ ज़रूर मिलना चाहीए।