30 दिसंबर से आगे बढ़ाई जा सकती है नोट बदली की तारीख…

ई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में मोदी सरकार को आज उस समय एक और झटका लगा, जब शीर्ष अदालत ने 500 और 1000 रुपए अमान्य करने के उसके फैसले से जुड़े मामलों पर देश के उच्च न्यायालयों के विचार करने पर रोक से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि जनता को उनसे ‘तत्काल राहत’ मिल सकती है। वैसे देश की जनता के लिए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने एक अच्छी खबर भी दी है।

उनका कहना था कि आवश्यक हुआ तो 1000 और 500 के नोट जमा कराने की अवधि 30 दिसंबर से आगे भी बढ़ाई जा सकती है लेकिन खंडपीठ सरकार को राहत देने के लिए इस तरह की दलीलों से प्रभावित नहीं हुई।

प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की तीन सदस्यीय खंडपीठ केन्द्र के इस दावे से संतुष्ट नहीं हुई कि विमुद्रीकरण ‘सफल’ रहा है क्योंकि अब तक 6 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि बैंकों और डाकघरों में जमा कराई जा चुकी है और दिसंबर के अंत तक करीब दस लाख करोड़ रुपए और जमा होने की उम्मीद है, जो नकदी की चोरबाजारी रोकेगी।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों में इस प्रकरण से संबंधित सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। केन्द्र सरकार को शीर्ष अदालत से यह लगातार दूसरा झटका लगा है।

न्यायालय ने 18 नवंबर को उच्च न्यायालयों को आठ नवंबर की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने से रोकने से इंकार कर दिया था। न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि जनता बुरी तरह प्रभावित है और ऐसी स्थिति में अदालतों के दरवाजे बंद नहीं किये जा सकते, जिससे दंगा हो जाए। विमुद्रीकरण के मामलों में उच्च न्यायालय में कार्यवाही पर रोक लगाने की सरकार के पुरजोर आग्रह के बावजूद प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘हम इस पर रोक नहीं लगाना चाहते।’
सरकार का तर्क था कि अब स्थिति ‘काफी बेहतर’ है और बैंकों के सामने लंबी कतारें कम हुई हैं तथा धन के लेन देने के मामले में डिजिटल प्रक्रिया के इस्तेमाल में काफी इजाफा हुआ है।
पीठ का कहना था, बहुत सारे मुद्दे हैं। उच्च न्यायालयों से लोगों को तत्काल राहत मिल सकती है। उच्च न्यायालयों के सामने आए कुछ मुद्दों में सप्ताह में 24 हजार रुपए बैंक से निकालने की सीमा खत्म करने, अस्पताल और पेट्रोल पंप जैसे सार्वजनिक सेवा केन्द्रों पर पुराने 1000 और 500 के नोटों के इस्तेमाल की अनुमति देना और एमटीएम मशीनों में पर्याप्त धन सुनिश्चित करने का निर्देश देने विषय शामिल हैं। 
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी का कहना था कि अब तक 6 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि जमा कराई जा चुकी है और बैंकों, एटीएम मशीनों तथा डाकघरों में लोगों की कतारों में जबर्दस्त कमी आई है। रोहतगी ने कहा कि 1000 और 500 के नोट देश की मान्य मुद्रा का 80 से 85 प्रतिशत हैं और इनके विमुद्रीकरण का उद्देश्य 70 साल से दबे ऐसे धन को चलन से हटाना है। 
उन्होंने कहा, ‘यदि इसे हटाने में 20-30 दिन और लगते हैं तो भी मुझे नहीं लगता कि यह कोई बडी बात है। यह अभी तक सफल है।’ अटार्नी जनरल ने कहा, ‘इस धन का उपयोग देश की अर्थव्यवस्था में होगा और कर्ज देने की ब्याज दरें कम होंगी।’ लेकिन पीठ ने कोई राहत देने की बजाये केन्द्र की स्थानांतरण याचिका पर सिर्फ उन प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए जिन्होंने विभिन्न उच्च न्यायालयों में याचिका दायर की है। केन्द्र चाहता है कि इन मामलों की सुनवाई शीर्ष अदालत या फिर कोई एक उच्च न्यायालय करे। शीर्ष अदालत ने केन्द्र सरकार की स्थानांतरण याचिका दो दिसंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुये कहा कि वह मुख्य मामलों में शुक्रवार को सुनवाई करेगी जिसमें जनता के कुछ लोगों और वकीलों ने अधिसूचना की वैधानिकता पर ही नहीं बल्कि इस विवादास्पद फैसले पर अमल के लिए पूरी तैयारी नहीं करने सहित कई अन्य मुद्दे उठाए हैं। (भाषा)