30 साल देश की सेवा करने वाले सैन्य अधिकारी अजमल हक का NRC लिस्ट में नाम नहीं

असम में सोमवार को जारी किए नेशनल रजिस्टर ऑफ सि‌ट‌िजंस (एनआरसी) के फाइनल ड्राफ्ट में जिन 40 लाख लोगों के नाम नहीं हैं उनमें सेना के पूर्व अधिकारी रहे अजमल हक भी शामिल है। इसकी वजह से अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों का पता लगाने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं।

50 वर्षीय अजमल हक असम के कामरूप जिले के चायगांव के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि सभी वैध दस्तावेज जमा कराने के बाद भी उनका नाम गायब है। इतना ही नहीं उनके बेटे और बेटी का नाम भी एनआरसी से गायब है। चायगांव असम की राजधानी गुवाहाटी से 50 किलोमीटर दूर है।

अजमल हक ने आउटलुक मैगज़ीन को बताया   कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता। इससे मुझे गहरा आघात लगा है। 2016 में जूनियर कमीशंड अफसर के रूप में रिटायर करने वाले हक ने कहा कि उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि 30 साल देश की सेवा करने के बाद उऩ्हें इस तरह के अपमान का सामना करना पड़ेगा।

2017 में उन्हें विदेशियों की पहचान के लिए गठित फॉरनर्स ट्रिब्यूनल (एफटी) की ओर से अपनी नागरिकता साबित करने लिए नोटिस भेजा गया।  लेकिन बाद में, असम पुलिस ने कहा कि यह गलत पहचान का मामला था। वैसे, एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट आने के बाद भी उन्हें अपनी आपत्तियां दर्ज कराने का मौका दिया जाएगा।

इसी तरह गुवाहाटी की रहने वाली 70 साल की मालती थापा का नाम भी फाइनल ड्राफ्ट में नहीं मिला है। उन्होंने आउटलुक से कहा कि यह चौंकाने वाला है। मुझे नहीं पता कि अब क्या करना है। मैंने अपने पिता का ड्राइविंग लाइसेंस जमा कराया था। उन्होंने कहा कि मेरे बेटों का नाम भी लिस्ट में नहीं है। इससे मैं काफी चिंतित हूं।