30 साल बाद सूडान ओमर अल बशीर का हुआ तख्तापलट!

30 साल पहले एक कर्नल ने सूडान सरकार का तख्तापलट कर दिया। और फिर एक एक कर सारे विरोधियों को खत्म किया। लेकिन तीन दशक बाद उस शख्स के साथ भी ठीक वही हुआ, रक्तहीन तख्तापलट।
30 साल से सूडान की सत्ता पर बैठे ओमर अल बशीर का 11 अप्रैल 2019 को सेना ने तख्तापलट कर दिया।

ओमर अल बशीर के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत (आईसीसी) का वारंट भी है। अदालत चाहती है कि ओमर अल बशीर को उसके सुपुर्द किया जाए। लेकिन सूडान की अंतरिम सैन्य काउंसिल ने इस आग्रह को ठुकरा दिया है।

फिलहाल देश की कमान अंतरिम सैन्य काउंसिल के हाथ में है। काउंसिल की पॉलिटिकल कमेटी के चैयरमैन ओमर जाइन अल-अब्दीन ने कहा, “हम अल बशीर को प्रत्यर्पित नहीं करेंगे। उन पर यहीं सूडान में मुकदमा चलाया जाएगा।

हमारे पास अपनी न्यायपालिका है…हम सूडानी नागरिकों को प्रत्यर्पित नहीं करेंगे। अगर हम उन्हें प्रत्यर्पित करेंगे तो यह हमारे इतिहास में एक काला धब्बा होगा। सेना के अधिकारियों के मुताबिक 75 साल के पूर्व राष्ट्रपति अल बशीर कैद में हैं. लोकेशन गुप्त रखी गई है।

अल बशीर पर सूडान के दारफूर इलाके में मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप हैं। अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत ने अल बशीर के खिलाफ पहला गिरफ्तारी वारंट 4 मार्च 2009 और दूसरा 12 जुलाई 2010 को जारी किया था।

मानवता के खिलाफ अपराध के तहत पूर्व सूडानी राष्ट्रपति पर हत्या, जबरन विस्थापन, प्रताड़ना और बलात्कार के आरोप हैं। उन पर युद्ध अपराध के भी दो आरोप हैं।

दारफूर में मार्च 2003 से जुलाई 2008 तक सशस्त्र संघर्ष छिड़ा रहा। अल बशीर पर आरोप हैं कि उन्होंने संगठित हथियारबंद गुटों को खत्म करने के नाम पर बड़ी संख्या में आम लोगों को निशाना बनाया।

सूडानीज लिबरेशन मूवमेंट और जस्टिस एंड इक्वलिटी मूवमेंट के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के दौरान फूर, मसालित और जाघावा समुदायों के पूरे जातीय सफाये की कोशिशें की गईं।

अल बशीर की सरकार को लगता था कि ये समुदाय विद्रोहियों के करीबी हैं। हिंसा में करीब 3,00,000 लोग मारे गए। पूर्व राष्ट्रपति ऐसे अपराधों से इनकार करते हैं।

साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी