67 वीं सनअती नुमाइश का आज आग़ाज़

हैदराबाद में 67 वीं कल हिंद सनअती नुमाइश का हसब रिवायत 01 जनवरी से आग़ाज़ होगा।चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्रशेखर राव मेहमान ख़ुसूसी होंगे जिस में मुल्क भर के 2500 से ज़ाइद नुमाइश कुनुन्दगान अपनी मसनूआत पेश करेंगे और 46 दिन तक जारी रहने वाली इस नुमाइश को 23ता35 लाख शायक़ीन देखेंगे।

नुमाइश के आग़ाज़ से पहले नुमाइश सोसाइटी के ज़िम्मे दारों ने बानियान नुमाइश को ख़िराज-ए-अक़ीदत अदा किया। हैदराबाद को आलमी सतह पर शौहरत देने वाली इस नुमाइश को देढ़ माह तवील सनअती-ओ-तिजारती जश्न-ओ-तहवार भी समझा जाता है। इस नुमाइश के आग़ाज़ और कमेटी के क़ियाम की एक दिलचस्प तारीख़ है जिस के मुताबिक़ उस्मानिया ग्रैजूएटस एसोसीएशन् के दफ़्तर में नवाब मीर अकबर अली ख़ां, नवाब मीर अहमद अली ख़ां, मुहम्मद अबदुलोहाब, अबदुर्रहीम, मुहम्मद अली ख़ां, राजा गुरु दास, जागीरदार, मुहम्मद अली शंकर जी, प्रेम जी लाल, मुहम्मद फ़ारूक़ और मुहम्मद ग़ौस मौजूद थे।

इस मौके पर रियासत के मआशी सर्वे के लिए मालिया जमा करने मुख़्तलिफ़ तजावीज़ पेश की गई थीं कि महमूद अली लेक्चरर ने हुज़ूर निज़ाम की तख़तनशीनी की सिलवर जुबली के मौके पर बाग़आम में लगाई गई नुमाइश में स्टाल क़ायम करने का फ़ैसला किया। अबदुर्रहीम और ख़्वाजा हमीद अहमद भी नुमाइश कमेटी के अराकीन में शामिल थे। चुनांचे बाग़आम पर अक्टूबर 1938 में पहली नुमाइश लगाई गई। उस वक़्त के मुंसिपल कमिशनर हैदराबाद ने इन कोशिशों में भरपूर मदद की।सर अकबर हैदरी उस्मानिया ग्रैजूएटस कांग्रेस से ख़िताब करते हुए इस नुमाइश को देसी सनअत की हक़ीक़ी नुमाइंदा क़रार दिया था। बादअज़ां बाज़ाबता नई नुमाइश कमेटी तशकील दी गई जिस के तहत अक्टूबर 1938 में पहली नुमाइश मसनूआत मुल्की मुनाक़िद की गई। लेकिन नुमाइश की मक़बूलियत में मुसलसिल इज़ाफे के सबब बाग़ आम्मा अपनी तंग दामिनी का गिला कररहा था। चुनांचे 1946 में हैदराबाद के वज़ीर आज़म सर मिर्ज़ा इसमएल ने 23 एकर् पर वाक़्ये मौजूदा मुक़ाम फ़राहम किया।

नुमाइश मैदान से मशहूर इस मुक़ाम पर हर साल नुमाइश लगती है जिस की आमदनी से हैदराबाद और मुख़्तलिफ़ अज़ला में 18 तालीमी इदारे चलाए जाते हैं।सनअती नुमाइश के लिए तमाम सेक्युरिटी इंतेज़ामात भी करलिए गए हैं।