केन्या में बढ़ती दरार से क्या अफ्रीकी महाद्वीप दो हिस्सों में विभाजित हो जाएगा

कई मील की दूरी तक बड़ी दरार दक्षिण-पश्चिमी केन्या में अचानक फ़ैल गई है और निरंतर बढ़ रही है। उस क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधि के साथ नैरोबी-नारोक राजमार्ग का एक हिस्सा गिर गया था। अब शोधकर्ता दावा कर रहे हैं कि इससे अफ्रीकी महाद्वीप दो को विभाजित हो सकता है। 2005 में अफ्रीका महाद्वीप के देश ईथोपिया में एक 60 किलोमीटर लंबी दरार पड़ी थी जो लगातार बढ़ती जा रही है। अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि ये दरार आखिरकार अफ्रीकी महाद्वीप को दो हिस्सों में बाँट देगी।

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भू-गर्भ वैज्ञानिकों का मानना है कि ईथोपिया के दूर दराज अफार इलाके में होने वाली ये घटना यकीन से परे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती पर होने वाले किसी खास परिवर्तन में लाखों साल लगते हैं पर अफ्रीकी महाद्वीप के अफार क्षेत्र में पिछले पाँच सालों में ही वैज्ञानिकों ने काफी महत्वपूर्ण बदलाव देखे हैं। 2005 में 60 किलोमाटर लंबी दरार सिर्फ 10 दिनों के भीतर और आठ मीटर चौड़ी हो गई थी। धरती के केन्द्र की गर्म पिघली चट्टानें सतह की ओर बढ़ रही हैं और धरती को दो हिस्सों में विभाजित कर रहीं हैं।

अफार का कुछ हिस्सा समुद्र तल से नीचे है और सिर्फ एक 20 मीटर चौड़ी जमीनी पट्टी इसको अलग करती है। आखिरकार ये होगा कि समुद्र का पानी इस दरार में आ जाएगा। ये एक नए समुद्र को जन्म देगा। ये सब सोमालियाई प्लेट को दूर धकेलेगा जिससे दक्षिणी ईथोपिया और सोमालिया अलग हो जाएँगे। उसके बाद अफ्रीका बहुत छोटा हो जाएगा और हिंद महासागर में एक बड़े द्वीप का निर्माण होगा।

पूर्वी अफ्रीकी दरार घाटी दक्षिण में जिम्बाब्वे की तरफ उत्तर में एडेन की खाड़ी से 3000 किलोमीटर की दूरी पर फैली हुई है जो अफ्रीकी प्लेट को दो असमान भागों में विभाजित कर रही है। जब लिथोस्फीयर क्षैतिज विस्तारिक बल के अधीन होता है तो यह फैल कर पतली होगी और आखिरकार यह टूटेगी। यह प्रक्रिया ज्वालामुखी और भूकंपीय गतिविधि के रूप में होगी। रिफ्ट्स एक महाद्वीपीय ब्रेक-अप का प्रारंभिक चरण हैं और यदि सफल हुआ तो एक नया महासागर बेसिन के गठन का कारण बन सकता है।