मुस्लिम देशों के राजदूतों ने अमेरिकी फ़ैसले की कड़ी निंदा की- कहा यह पूरे इस्लाम दुनियां का मुद्दा है

यरूशलेम को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की ओर से यहूदी राज्य की राजधानी स्वीकार किए जाने के फैसले के संदर्भ में जमीअत उलेमा ए हिन्द की ओर से आयोजित फिलिस्तीन के शीर्षक पर इज्तेमा में मुस्लिम देशों के राजदूतों, एमपी और दानिशवरों ने अमेरिका के उस फैसले की कड़ी निंदा की है।

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जमीअत उलेमा ए हिन्द के नेतृत्व में आयोजित इस वार्ता में फिलिस्तीनियों के साथ हमदर्दी के इज़हार के साथ साथ यरूशलेम को इजराइल की राजधानी स्वीकार किए जाने को इस्लाम दुनियां का मुद्दा बताया गया। फाइव स्टार होटल ली मेरिडीन में आयोजित इस वार्ता में फिलिस्तीन के राजदूत अदनान एम ए अलअह्वेजा ने अपनी भवनात्मक भाषण में कहा ‘ 6 दिसंबर हमारी इतिहास का काला दिन है। उस दिन अमेरिका ने यरूशलेम को इजराइल की राजधानी स्वीकार करके हम ज़ुल्म ढाया है’।

उन्होंने आगे कहा कि अभी दुनियां को अंदाज़ा नहीं हिया कि मस्जिदे अक्सा के लिए कितनी कुरबानियां दे सकते हैं। उन्होंने और कहा कि यरूशलेम को इजराइल की राजधानी स्वीकार करके मध्यस्थता का रोल खो दिया है, और अब वह पक्ष बन गया है।

राष्ट्रपति मौलाना अरशद मदनी ने मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि यरूशलेम का मुद्दा सिर्फ फिलिस्तीनियों का मुद्दा नहीं बल्कि सारी दुनियां के मुसलमानों का मुद्दा बन गया है। वार्ता में ज़िक्र करते हुए तुर्की के राजदूत शाकिर औजकान ने अपनी सरकार की ओर से यरूशलेम के मामले में उठाये जाने वाले क़दम का विवरण बताते हुए कहा कि तुर्की वह पहला देश है जिस ने सबसे सख्त शब्दों में इसको उठाया बल्कि इसको इस्लाम दुनियां का मुद्दा बनाने में अहम रोल अदा किया। इस मौके पर ईरान के सफीर गुलाम रज़ा अंसारी ने बहुत सीधे शब्दों में कहा कि ईरान ने फिलिस्तीनियों के साथ खड़ा रहा है और हमेशा उनके साथ खड़ा रहेगा।

उन्होंने कहा कि इस बात पर उनको पूरा यकीन है कि फिलिस्तीन को एक दिन आज़ादी जरूर मिलेगी और हर मुसलमान को इस बात पर यकीन होना चाहिए कि एक रोज़ फिलिस्तीन जरूर आजाद होगा।