पुराने सरकारी गोपनीयता कानून में समय के अनुकूल बदलाव की आवश्यक्ता है : हामिद अंसारी

नयी दिल्ली : पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने ब्रिटिश राज में लागू किये गये सरकारी गोपनीयता कानून के प्रावधानों को मौजूदा समय के अनुकूल नहीं होने का हवाला देते हुये कहा कि इसमें माकूल बदलाव करना समय की मांग है। अंसारी ने शनिवार को ‘बी जी वर्गीज स्मृति व्याख्यान’ में प्रेस की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और तटस्थता का हवाला देते हुये कहा कि गोपनीयता कानून के प्रावधान मौजूदा समय के अनुकूल नहीं है, इसलिये इनमें पर्याप्त बदलाव की जरूरत है।

अंसारी ने मीडिया फांउडेशन द्वारा ‘‘सख्त राष्ट्रवाद के दौर में पत्रकारिता’’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में गोपनीयता कानून के दुरुपयोग के खतरों पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि अब समय आ गया है कि इस कानून को मौजूदा परिस्थतियों के अनुरूप बनाया जाये। उन्होंने हाल ही में राफेल मामले में प्रकाशित मीडिया रिपोर्टों से सरकारी गोपनीयता कानून 1923 के उल्लंघन की सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में व्यक्त की गयी आशंका के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हमारे तमाम पुराने कानूनों की तरह गोपनीयता कानून भी गुजरे जमाने का है और मौजूदा दौर में अप्रासंगिक हो गया है।’’ अंसारी ने संचार क्रांति के दौर में सूचनाओं के अबाध प्रसार का हवाला देते हुये कहा कि गोपनीयता कानून को मौजूदा परिस्थितियों की जमीनी हकीकत के मुताबिक बनाना जरूरी है।

इस दौरान उन्होंने मीडिया संगठन एडिटर्स गिल्ड के उस वक्तव्य का भी हवाला दिया जिसमें सरकार द्वारा राफेल मामले में मीडिया रिपोर्टों से गोपनीयता कानून के उल्लंघन के कथित आरोप पर चिंता व्यक्त की गयी है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने राफेल मामले में कथित अनियमितता को उजागर करने वाली मीडिया रिपोर्टों को उच्चम न्यायालय में गोपीयता कानून का उल्लंघन बताया था।

एडीटर्स गिल्ड ने कहा था कि सरकारी गोपनीयता कानून को मीडिया के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश उतनी ही निंदनीय है, जितना निंदनीय पत्रकारों से उनके सूत्रों का खुलासा करने के लिए कहना है। संगठन ने इस मामले में सरकार से अपील की थी कि वह ऐसा कोई भी कदम उठाने से बचे जिससे मीडिया की स्वतंत्रता कमजोर हो। इस अवसर पर अंसारी ने उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिये युवा पत्रकार प्रियंका दुबे को चमेली देवी जैन सम्मान से पुरस्कृत किया।