आसाम नागरिकता मामला: फैक्ट फाइंड रिपोर्ट ने एनआरसी की खोली पोल

आसाम में जारी नागरिकता मामले पर पेश की गई फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट ने (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) एनआरसी की पोल खोलने का कम किया है और इसके क्रियान्वयन पर सवाल खड़ा हो गया है, और मांग किया है कि एनआरसी निष्पक्ष रूप से काम करे.

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जानकारी के मुताबिक, यहां वाईएमसीए में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में यूनाइटेड अगेंस्ट हिट की टीम ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अपनी फैक्ट फाइडिंग रिपोर्ट पेश की. बता दें कि उत्तरप्रदेश के पूर्व आईजीएस आर दारापुरी की अध्यक्षता में गठित यूनाइटेड अगेंस्ट हिट टीम में शामिल वरिष्ठ पत्रकार अमित सेन गुप्ता, तारिक अनवर, मनीषा भला, अविनाश कुमार इत्यादि इस प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया.

वरिष्ठ पत्रकार अमित सेन गुप्ता ने इस कार्यक्रम का शुरुआत किया और फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट का खुलासा करते हुए कहा कि एनआरसी को जो जिम्मेदारी दी गई है उस पर वह खड़ा नहीं उतर पा रही है. उनहोंने कहा कि आसाम के लोग चाहते हैं कि एनआरसी की रिपोर्ट पेश हो और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए, जिससे यह पता चल जायेगा कि कौन असली है और कौन नकली.

उनहोंने आगे कहा कि राज्य में गैर क़ानूनी तरीके से रहने वालों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट हिदायत पर एनआरसी सन 1951 को अपडेट करने का कम चल रहा है, इसके तहत 24 मार्च 1971 से पहले बांग्लादेश से यहां आये लोगों को स्थानीय माना जायेगा. उनहोंने कहा कि बंगला भाषा बोलने वाले मुसलमानों और हिन्दुओं को खास भारतीय नागरिकता साबित करना जरुरी है, लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय का आरोप है कि मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जा रहा है और उन्हें जानबूझ कर बंगलादेशी करार दिया जा रहा है.

उनहोंने कहा कि एनआरसी की तरफ से जो नोटिस भेजा जाता है वह लोगों को प्राप्त नहीं होता है, जिसकी वजह से लोग दस्तावेज फोरेनर्स ट्रिब्यूनल में पेश नहीं कर सकते जिसके कारण जिसके कर्ण उन्हें विदेशी करार दिया गया है.