पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) ने जमात-ए-इस्लामी संगठन पर बैन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले की शुक्रवार को तीखी आलोचना की और कहा कि यह लोकतंत्र की उस मूल भावना के विरुद्ध है जो विरोधी राजनीतिक विचारों की इजाजत देता है।
न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, पीडीपी की अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने इस राजनीतिक मामले को बाहुबल से निपटने की मोदी सरकार की पहल का एक अन्य उदाहरण करार दिया है। महबूबा ने कहा है कि क्या ‘भाजपा विरोधी’ होना अब राष्ट्र-विरोध है।
Why is GoI so uncomfortable with Jamaat e Islami? Radicalised Hindu groups representing fringe elements are given carte blanche to spread misinformation & vitiate the atmosphere. But an org that has worked tirelessly for Kashmiris is banned. Is being anti BJP anti national now?
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) March 1, 2019
पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, ‘लोकतंत्र में विचारों का संघर्ष होता है। ऐसे में जमात ए इस्लामी (जेके) पर बैन लगाने की खबर बेहद निंदनीय है और यह जम्मू कश्मीर के राजनीतिक मसले से कठोरता और बल प्रयोग के माध्यम से निपटने के भारत सरकार के रवैए का एक अन्य उदाहरण है।
अप्रैल, 2016 से जून, 2018 तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर चुकीं महबूबा ने लिखा है कि, ‘केंद्र सरकार, जमात ए इस्लामी से इतनी असहज क्यों है?
जबकि हाशिये के तत्वों की नुमाइंदगी करने वाले कट्टरपंथी हिंदू संगठनों को दुष्रचार करने और माहौल बिगाड़ने की पूरी छूट प्रदान की जाती है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सहयेागी पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने अपने बयान में कहा है कि, ‘लोकतंत्र की असली परीक्षा कुछ विशेष राजनीतिक रूझान वाले लोगों को सलाखों के पीछे डालने के स्थान पर विरोधी राजनीतिक विचारों एवं विचारधाराओं को इजाजत देने में है।