मल्लिका-ए-गजल के नाम से मशहूर बेगम अख्तर की ज़िन्दगी से जुड़े कुछ पन्ने

बेगम अख्तर दुनिया भर में मल्लिका-ए-गजल के नाम से मशहूर है। आज उनके यौमे पैदाइश पर जहाँ गूगल ने उनके नाम की डूडल से सम्मानित किया वही उनके बारे में शायद ही ज़्यादा लोग जानते हों….तो आयी इस खास हस्ती के बारे में जानते हैं।

बेगम अख्तर का जन्म 7 अक्टूबर 1914 में हुआ था। बेगम अख्तर की संगीतमय विरासत के कई किस्से है, लेकिन इससे उलट एक और बात है कि उनकी जिंदगी के कई उतार चढ़ाव आए। फैजाबाद के शादीशुदा वकील असगर हुसैन और तवायफ मुश्तरीबाई की बेटी बेगम अख्तर का बचपन का नाम बिब्‍बी था। बताया जाता है कि बचपन में बिब्बी का पढ़ने लिखने में रूची नही रखती थी और वो शरारती बच्चियों की तरह जानी जाती है।

बचपन में थोड़-बहुत पढ़ने के बाद उन्होंने उर्दू की अच्छी जानकारी हासिल कर शायरी में अपने आप को रमा लिया। मजह सात साल की उम्र से उन्होंने गाना शुरू कर दिया जबकि मां मुश्तरी इसके लिए राजी नहीं थीं, लेकिन उनकी तालीम का सफर शुरू हो चुका था। इसके बाद उन्होंने कई उस्तादों से संगीत की शिक्षा ली और देखते ही देखते बिब्बी अब 13 साल की हो गई थी, तब उसने अपने आप को अख्तरी बाई के तौर पर नई पहचान दी।

एक मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक 15 साल की उम्र में अख्तरी बाई फैजाबादी के नाम से पहली बार मंच पर उतरीं। उनकी आवाज में जिंदगी के सारे दुख-दर्द साफ-साफ दिखते थे, बता दें कि यह कार्यक्रम बिहार के भूकंप पीड़ितों के लिए चंदा इकट्ठा करने के लिए कोलकाता आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में भारत कोकिला सरोजनी नायडू भी मौजूद थीं।

धीरे-धीरे शोहरत बढ़ती गई और प्रशंसकों से प्रशंसा भी मिलती रही, लेकिन जीवन ने फिर करवट लिया, बताया जाता है कि अख्तरी बाई को अकेलेपन में बहुत घबराहट हो थीं। उन्होंने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए शराब और सिगरेट पीना शुरू कर दिया।

आपको बता दें की उनकी बेहतरीन गायिकी के लिए बेगम अख्तर को वोकल संगीत के लिए दिया जाने वाला संगीत नाटक अकेडमी अवॉर्ड दिया जा चुका है। इसके साथ ही बेगम अख्तर को भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले प्रतिष्ठित सम्मान पद्म श्री और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।