म्यांमार की सरकार भारी अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण उन दो पत्रकारों को रिहा करने पर मजबूर हुई जिन्हें उसने रोहिंग्या मुसलमानों के ख़िलाफ़ सेना के भयंकर अत्याचारों का पर्दाफ़ाश करने के कारण आरोप लगाकर जेल में डाल दिया था।
Jailed Reuters journalists Wa Lone and Kyaw Soe Oo are freed in Myanmar after amnesty. https://t.co/jIUbQY3XVq
— BBC Breaking News (@BBCBreaking) May 7, 2019
पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, दोनों पत्रकारों को रिहा करने का फ़ैसला म्यांमार के राष्ट्रपति ने किया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के पत्रकार वा लोन और क्वाय सोए ओ को आफ़िशियल सिक्रेट्स एक्ट का उल्लंघन करने के मामले में बीते सितंबर महीने में सात-सात साल की क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी।
JUST IN: Two Reuters journalists jailed in Myanmar for reporting on a massacre of Rohingya civilians have been freed, after spending more than 500 days behind bars https://t.co/63A0FCda4P pic.twitter.com/JQghZLRWir
— CNN (@CNN) May 7, 2019
इन दोनों पर ये मामला तब चला था जब इन्होंने 2017 में 10 मुस्लिम रोहिंग्या कैंप में सरकारी सुरक्षा बलों की कार्रवाई की रिपोर्टिंग की थी।
दोनों पत्रकारों को सज़ा दिए जाने की दुनिया भर में आलोचना हुई थी और इसे प्रेस की आज़ादी पर हमला बताया गया था।
Breaking News: Myanmar released two journalists who were held for more than a year for covering the country’s deadly crackdown on the Rohingya minority group https://t.co/zSG83VHrnd
— The New York Times (@nytimes) May 7, 2019
पुल्तिज़र पुरस्कार से सम्मानित वा लोन और क्वाय सोए ओ को हज़ारों क़ैदियों के साथ रिहा किया गया है, जिन्हें नए साल के मौक़े पर राष्ट्रपति ने रिहा करने का निर्देश दिया है।