शब-ए-बरात के अवसर पर हुल्लड़बाजी इस्लाम में जायज़ नहीं

शबे बरात के असवर पर इबादत के नामा पर नौजवान वर्ग सड़कों पर निकलर कर जिस हुल्लड़बाजी का प्रदर्शन करता है इससे मुस्लिम समाज बदनाम होता है। जिसकी रोकथाम के लिए नौजवानों के माता पिता, मदारिस व स्थानीय ज़िम्मेदार, मस्जिद के इमाम और संगठनों को आगे आने की जरूरत है, ताकि मुस्लिम समाज बदनामी से बच सके।

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सीलमपुर की जामा मस्जिद के इमाम मौलाना हुसैनुद्दीन ने कहा है कि रास्ता से तकलीफदेह चीज़ों को हटा दिया जाए तो यह दीन की खैर खाही का नाम है, लेकिन हम अपनी इबादत से भी दूसरों को तकलीफ पहुंचा रहे हैं जैसा कि शबे बरात इबादत की रात है और बेहतर यह है कि हम अपने घरों में रहकर सुकून से इबादत करें।

उसके खिलाफ नौजवान वर्ग पूरी रात स्कूटर, मोटर साइकलों व पैदल अहम स्थान व सड़कों पर निकल कर हुल्लड़बाजी का भरपूर प्रदर्शन करते हुए हंगामे का रूप इख़्तियार करके दूसरों की परेशानी का जरिया बनते हैं जिसकी इस्लाम में कोई गुंजाईश नहीं है और यह शैतानी अमल है।