चीफ जस्टिस बनने से पहले बोले रंजन गोगोई- लंबित पड़े मामलों को निपटाने का प्लान है

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा 3 अक्टूबर को रिटायर हो जाएंगे. इसके बाद जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश होंगे. भारत के होने वाले नए चीफ जस्टिस ने शनिवार को अदालतों में बरसों से लंबित पड़े मामलों पर चिंता जताई है. साथ ही कहा कि इसमें सिस्टम को अप्रासंगिक बनाने की काबिलियत है.

यूथ बार असोसिएशन की सेमिनार में जस्टिस गोगोई ने कहा कि उनके पास लंबित पड़े मामलों को निपटाने की योजना है और जल्द ही वह इसका खुलासा कर देंगे. जस्टिस गोगोई ने कहा, ”लंबित पड़े मामलों से बदनामी होती है.” कई बार आरोपी के आपराधिक मामले की सुनवाई उसके सजा पूरे होने के बाद होती है और सिविल मामलों में पार्टियों को न्याय दूसरी और तीसरी पीढ़ी पर मिलता है.

उन्होंने कहा, मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं इस बारे में सोचें और बताएं कि इससे कैसे इस छुटकारा पाया जा सकता है. मैं नहीं मानता कि काम इतना मुश्किल है. मेरे पास एक प्लान है और उस प्रक्रिया में भागीदार बनने के लिए आप सभी का स्वागत है. होने वाले चीफ जस्टिस ने सोशल इंजीनियरिंग और उसमें युवा वकीलों के रोल के बारे में बात की.

जस्टिस गोगोई ने कहा कि रिटायरमेंट के बाद वे असम चले जाएंगे, जहां उन्होंने एक घर बनवाया है. उन्होंने कहा, ”जैसे आर्किटेक्ट और इंजीनियर्स अच्छा घर बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं, वैसे ही आप बतौर वकील और मैं बतौर जज, इस बात के लिए जिम्मेदार हैं कि समाज कैसा हो. हमें रोज समाज में क्या देखने को मिलता है, हमें देखने को मिलता है कि कैसे 130 करोड़ भारतीयों को उनके मानवाधिकार, राजनीतिक और सामाजिक अधिकार मिल रहे हैं.

कौन हैं जस्टिस रंजन गोगोई: जस्टिसगोगोई को 23 अप्रैल 2012 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को हुआ। वह एक वकील के रूप में 1978 में पंजीकृत हुए। उन्होंने गुवाहाटी उच्च न्यायालय में संवैधानिक, कर व कंपनी मामलों में वकील की भूमिका निभाई. उन्हें 28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किया गया. उन्हें 12 फरवरी 2011 को पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया. शीर्ष अदालत के तीन वरिष्ठतम जजों जस्टिस जे.चेलमेश्वर, मदन बी.लोकुर व कुरियन जोसेफ के साथ जस्टिस गोगोई ने जनवरी में अप्रत्याशित रूप से प्रेस कांफ्रेंस कर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा द्वारा जजों को मामलों के आवंटन पर सवाल उठाया था.