नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने आयकर विभाग को निर्देश दिया है कि वह 428 करोड़ रुपये नहीं चुकाने के मामले में एनडीटीवी के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई न करे। कोर्ट ने आयकर विभाग की मांग पर खिंचाई करते हुए कहा कि यह उत्साहपूर्ण और अवैध है।
न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की खंडपीठ ने कहा कि पहली नज़र में मामला एनडीटीवी के पक्ष में है। कोर्ट ने आयकर विभाग से कहा, ‘आप दंडात्मक आदेश कैसे जारी कर सकते हैं जब 26 जुलाई को निर्धारित की गई राशि के भुगतान के लिए कोई समय नहीं दिया गया है।’
कोर्ट ने आयकर विभाग को नोटिस भी जारी किया और 26 जुलाई के मांग के आदेश और उसी दिन जारी किए गए कारण बताओ नोटिस पर उससे जवाब तलब किया। यह कारण बताओ नोटिस समय पर राशि का भुगतान करने में विफल रहने पर जारी किया गया था।
बता दें कि आयकर विभाग की तरफ से गत 26 जुलाई को एनडीटीवी को 428 करोड़ रुपये नहीं चुकाने पर डिमांड और कारण बताओ नोटिस भेजा गया था। एनडीटीवी ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी है। एनडीटीवी की तरफ से कहा गया कि 26 जुलाई का आयकर विभाग का आदेश टुकड़ों में की गई जांच पर आधारित है। विभाग के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
वहीं आयकर विभाग का प्रतिनिधत्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन ने कहा कि एनडीटीवी की ओर से दायर याचिका विचार योग्य नहीं है और मीडिया हाउस आदेश के ख़िलाफ़ संबंधित आयकर विभाग के आयुक्त के पास अपील कर सकता है।
उन्होंने यह आग्रह भी किया कि पीठ मांगी गई धनराशि का आंशिक हिस्सा जमा करने का निर्देश दे। हालांकि अदालत ने राशि के आंशिक भुगतान का आदेश नहीं दिया। कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 21 अगस्त रखी है।