‘नाम बदलने से बेहतर होता कि संघी अपने प्रयासों से एक स्टेशन बनाकर उसका नाम दीनदयाल उपाध्याय रखते’

मुगलसराय जंक्सन का नाम बदल कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर करने से बेहतर होता कि संघी और भाजपाई अपने प्रयासों से एक अलग स्टेशन बनाकर उसका नामकरण पंडित जी के नाम पर करते। मुग़ल नाम से संघियों की इतनी चिढ़ समझ नहीं आती। बाबर ज़रूर इस देश के लिए हमलावर था।

लेकिन उसके वंशज बाकी सभी मुग़ल इसी देश की मिट्टी में पैदा हुए, यही पले-बढे और इसी की मिट्टी में दफ़न हुए। यह देश उनका भी है। वे यहां की संपति लूट कर विदेश नहीं ले गए। उनका अर्जित किया हुआ सब कुछ इसी देश में है।

कुछ मुग़ल शासक और सामंत अय्याश और आततायी रहे होंगे, मगर देश-दुनिया में ऐसे कितने राजे-महाराजे हुए हैं जो अय्याश और आततायी नहीं थे ?

सर्वधर्म समभाव में विश्वास करने वाला बादशाह अकबर, हिन्दू धर्मग्रंथों का सबसे पहले फ़ारसी में अनुवाद कराकर उन्हें देश के बाहर पहुंचाने वाला दारा शिकोह जैसा सूफ़ी, औरंगज़ेब की बड़ी बेटी जेबुन्निसा जैसी शायरा और बहादुर शाह ज़फ़र जैसा शायर तथा स्वतंत्रता सेनानी मुग़ल खानदान से ही आए थे। क्या देश के इतिहास से इनका नामोनिशान मिटा सकोगे ?

मुगल स्थापत्य के बेहतरीन नमूने फतेहपुर सिकरी, ताजमहल, आगरा का किला, लाल किला, हुमायूं का मक़बरा, अकबर का मक़बरा,जामा मस्जिद आज इस देश की शान हैं। क्या उन सबको तोड़ डालोगे ?

मुगल दरबार की राजकीय भाषा फ़ारसी और स्थानीय खड़ी बोली के मेल से मुहब्बत और अखलाख की भाषा उर्दू मुग़ल काल में ही पैदा हुई । क्या इसे भी मिटा दोगे ?

हमारी रसोई में पकने वाले लगभग सभी मांसाहारी व्यंजन मुगलों की ही देन है। हमारी रसोई से इन्हें विस्थापित कर सकोगे कभी ?

आज की भारतीय संस्कृति वेदों की सनातन संस्कृति नहीं है। यह आर्य, द्रविड़, शक, हूण, मंगोल, मुस्लिम, सूफ़ी, आदिवासी और पश्चिमी संस्कृतियों के मेल से बनी एक ऐसी मिलीजुली संस्कृति है जिसकी विविधता में एकता पर हमें गर्व है।

  • ध्रुव गुप्त