‘नोटबंदी की रणनीति कामयाब रही, UP चुनाव में BJP का खज़ाना लबालब था और सपा-बसपा करीब कंगाल’

नोटबंदी अपने उद्देश्यों में सफल रही है. यूपी चुनाव में बीजेपी के 32 हेलीकॉप्टर्स के मुकाबले सपा+बसपा+कांग्रेस के 5 हेलीकॉप्टर थे. बीजेपी ने बाकी दलों से दस गुने से भी ज्यादा खर्च किया।

बैनर, पोस्टर, गाड़ियां, अखबारों में फुल पेज के विज्ञापन, टीवी विज्ञापन, रैलियों में बसों से लोगों को लाना, वोट मैनेजरों और समाज के असरदार लोगों को पैसे बांटना, बूथ मैनेजमेंट….हर खेल में बीजेपी ने विरोधियों को पटक-पटक कर मारा और विरोधी रो भी नहीं पाए कि हमारे पास खर्च करने के लिए, पैसा नहीं है।

करोड़ों रुपए तो बीजेपी ने अखबारी विज्ञापनों पर खर्च कर दीजिए। इसके मुकाबले सपा और बसपा के विज्ञापन देख लीजिए। आपको अंदाजा हो जाएगा कि मुकाबला किस कदर गैर-बराबरी का था।

और क्या चाहिए?

दो लोकसभा चुनावों के बीच सबसे बड़ा चुनाव यूपी का विधानसभा चुनाव ही होता है। बीजेपी की नोटबंदी वाली रणनीति कामयाब रही।

यूपी का हर आदमी जानता है कि सपा और बसपा ने कंगालों की तरह यह चुनाव लड़ा। पैसा रहा होगा, लेकिन बैंक से निकालने की लिमिट लगी हुई थी। वहीं, बीजेपी तैयारी करके बैठी थी।

अब इस चक्कर में कई लोग लाइनों में मर गए तो बीजेपी क्या करे। आदमी की जिंदगी की बीजेपी की नजर में क्या औकात है, यह आप गुजरात से लेकर गोरखपुर तक में देख चुके हैं।

बीजेपी ने नोटबंदी की तैयारी कर ली थी। बीजेपी के नेता कहीं-कहीं नए नोटों के बंडल के साथ पकड़े भी गए। यह लोकल पुलिस वालों की बेवकूफी से हुआ।

बीजेपी नेताओं तक नए नोट पहुंचा दिए गए थे।

बीजेपी ने अपना काफी पेमेंट एडवांस भी कर लिया था।

बाकी दल इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे। उनके नेताओं के पास जो पैसा बैंक में था भी, वह रकम निकालने की पाबंदियों के कारण रखा रह गया।

जो रकम नकद थी, उसे बैंक में जमा कराना पड़ गया, क्योंकि पुराने नोट बेकार हो चुके थे और उन्हें कोई ले नहीं रहा था।

अगर ह्वाइट मनी से भारत में चुनाव हो रहे होते, तो मुकाबला बराबरी का होता। लेकिन सपा और बसपा के पास ब्लैक मनी थी नहीं। सब बैंक में था। सबकी नजर में था। वहीं, बीजेपी का खजाना लबालब भरा था।

सपा और बसपा को कंगाल करके बीजेपी ने बाजी मार ली।

बीजेपी की रणनीति को राजनीति के नजरिए से मत देखिए। समझ में नहीं आएगा। इसे अपराधशास्त्र के नजरिए से देखिए.

यूपी चुनाव के अगले दिन बैंकों से रकम निकालने की पाबंदी हट गई। तारीख गूगल करके चेक कर लीजिए। नोटबंदी यूपी चुनाव के लिए की गई थी। काम पूरा होते ही नोटबंदी खत्म। आप लोग इसका आर्थिक विश्लेषण कर रहे हैं। जबकि यह राजनीतिक, बल्कि आपराधिक फैसला था।

इसका मुकाबला मुुमकिन था। इसका मुकाबला राजनीतिक तरीके से ही हो सकता था। बिहार का रास्ता सबको पता था। खैर, अब जो हो गया, सो हो गया।

  • दिलीप मंडल