बिहार की मिट्टी में अजब खूबी, यहां बागी भी पैदा होते और प्रेमी भी : अंसारी

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि बिहार की सरजमीं में अजब खूबी है। यहां बागी भी पैदा होते हैं और और प्रेमी भी। अक्सर यह देखा गया है कि बागी प्रेमी हो गया और प्रेमी बागी हो गया। इस सरज़मीन ने देश की बहुत खीदमत की है और ये मेरे लिए गर्व की बात है कि आज मुझे पहले सय्यद शहाबुद्दीन मेमोरियल लेक्चर में आने का मोक़ा मिला
ये बात वो शनिवार को चैंबर ऑफ कॉमर्स के सभागार में पूर्व सांसद सैयद शहाबुद्दीन पर आयोजित पहले मेमोरियल व्याख्यान में बोल रहे थे। इसका विषय ‘देश के विकास में समावेशी (सभी का) कितना योगदान’ था।

अंसारी ने कार्यक्रम में अध्यक्षीय भाषण में कहा कि यह सबको मालूम है कि किस तरह की बगावत सैयद शहाबुद्दीन ने की थी। मगर उन्होंने अपने तेवर और बुद्धिमता का ऐसा उपयोग किया कि उसका फायदा ना सिर्फ विदेश सेवा को हुआ, बल्कि मुल्क को भी हुआ।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बतौर श्रोता उपस्थित थे। वे मंच पर नहीं, बल्कि नीचे श्रोताओं के बीच बैठे हुए थे।

हामिद अंसारी ने कहा कि सैयद शहाबुद्दीन बेइंतहा ईमानदार थे। सच बोलने से कभी वे डरे नहीं। सांसद के रूप में संसद में उन्होंने अपने सवालों के जरिये कई ऐसी चीजें सामने लाईं, जिसे कोई जानता नहीं था। हमारा समाज समावेशी है या नहीं, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। इस देश में समावेशी एक विकल्प की बात नहीं है। यह जरूरत है। सामाजिक, राजनातिक, हर स्तर पर इस पर सोचने की जरूरत है। उम्मीद है कि आज के लेक्चर का इसमें फायदा मिलेगा।

मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार किये बिना देश को विकसित नहीं किया जा सकता है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर नागरिक को मिले, यह सुनिश्चित होना चाहिए। इसी प्रकार चिकित्सा सुविधा भी। ये दोनों सुविधाएं नागरिक को देने की सरकारी व्यवस्था होनी चाहिए। पंचायती राज व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि असमानता को हटाना देश में कभी मुख्य मुद्दा नहीं रहा। असमानता को देश से हटाने के बाद ही विकास की गति में तेजी आएगी और यह स्थायी भी होगा।
कहा कि सैयद शहाबुद्दीन ने विदेश सेवा की नौकरी इसलिए छोड़ी कि उनकी प्रतिभा के लिए यह जगह छोटी थी। वे लोगों की सेवा के लिए बहुत कुछ करना चाहते थे।

इस मौके पर सैयद शहाबुद्दीन की पुत्री और पूर्व मंत्री परवीन अमानुल्ला ने कहा कि उनके पिता आमलोगों को उनका अधिकार दिलाने के लिए लड़ते रहे।