गाज़ियाबाद बलात्कार मामला: अपराध पर भी साम्प्रदायिकता का चोला?

बुधवार को गाज़ियाबाद की नील कमल कालोनी के निवासियों ने राजमार्ग 9 पर चार घंटे तक रास्ता रोके रखा। यह लोग बलात्कार के एक घटना के खिलाफ एक हिन्दू नाम वाली संगठन के बैनर तले विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

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बिलकुल किसी इलाके के लोग अगर बलात्कार के खिलाफ इस तरह जागरूक हो जाएँ तो फिर वह किसी भी राजमार्ग पर अगर कुछ घंटे नहीं दो चार महीने का जाम भी लगाएं तो उनका स्वागत किया जाना चाहिए, मगर चिंता यह है कि यह लोग इस लिए विरोध प्रदर्शन नहीं कर रहे थे कि किसी लड़की का बलात्कार हुआ है बल्कि इस लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे कि जिस माकन में एक नाबालिग लड़की के साथ एक नाबालिग नौजवान ने बलात्कार किया उसी मकान के एक हिस्से में एक मौलवी साहब मदरसा भी चलाते हैं।

इस भीड़ की मांग थी कि मदरसे को बंद कर दिया जाए। अब आप की समझ में आ गया होगा कि बलात्कार के नाम पर कौन सा गेम खेला जा रहा है। वह तो कहिये कि इस मामले में लिप्त लड़के का धर्म वही था जो लड़की का था, इस लिए इस मामले को ‘लव जिहाद’ का रंग नहीं दिया जा सका। पूरी घटना इस तरह है कि गाज़ियाबाद के उसी मोहल्ले में रहने वाला एक लड़का और एक लड़की एक दुसरे को जानते थे, उसके बाद लड़की के घर वाले गाज़ियाबाद से शिफ्ट होकर दिल्ली चले गये, 21 अप्रैल को वह लड़का उस लडकी को बहला फुसलाकर गाज़ियाबाद लाया और उसी मदरसे के एक कमरे में ठहरा।

उधर लड़की के घर वालों ने लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करवा दी और फिर फोन की लोकेशन का पता लगाकर पुलिस ने लडकी को उस मदरसे से बरामद कर लिया। जिसके बाद लड़की ने पुलिस को बताया कि लड़के ने उसके साथ बलात्कार किया। लड़की की बरामदगी के बाद मोहल्ले के कुछ लोगों हंगामा शुरू कर दिया और साम्प्रदायिक तनाव फैलाना शुरू कर दिया।