देश में एक तरफ जहाँ मज़हब के नाम पर हत्याओं का सिलसिला शुरू हो गया है, वहीँ दूसरी तरफ बनारस के हिन्दुओं ने गंगा-जमुनी तहजीब की बेहतरीन मिसाल पेश की है।
खबर है कि बनारस के गंगा घाट स्थित मस्जिद आलमगीरी धरहरा में आयोजित किया गया। हालाँकि इफ्तार तो दो दिन पहले हुआ लेकिन इसकी तस्वीरें व्हाट्सऐप और सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही हैं।
इन तस्वीरों में माथे पर केसरिया और चंदन का तिलक लगाए हिन्दू युवक अपने मुसलमान भाइयों के इफ्तार करा रहे हैं। जिस मस्जिद में इफ्तार का आयोजन कराया गया वह गंगा तट पर पंचगंगा घाट पर स्थित आलमगीरी धरहरा के नाम से जानी जाती है।
आयोजन में इलाके के पार्षद अजीत सिंह की मुख्य भूमिका रही। यह इफ्तार कौमी एकता कि मिसाल थी इसके लिये तस्वीरें खुद सबूत हैं।
बड़ी बात यह कि यह मस्जिद गंगा घाट पर है और चारों तरफ मंदिरों से घिरी हुई है। यहां इफ्तार का आयोजन हुआ तो माथे पर केसरिया और चंदन का तिलक लगाए हिन्दू युवक रोजेदारों के लिये खिदमतगार बन गए। इफ्तार में लजीज व्यंजन परोसे गए।
पार्षद अजीत सिंह ने बताते हैं कि बनारस विश्व पटल पर अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिये जाना जाता है। यहां के मंदिरों के घंटा घड़ियाल की आवाज मस्जिदों की अजानों की सदाका अनोखा संगम हिन्दू-मुस्लिम एकता की बेमिसाल नजीर पेश करती है। जिस तहजीब की मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है दरअसल उसका उद्गम स्थल बनारस ही है।