असम में लाखों मुसलमानों को नागरिकता दिलाने की लड़ाई जारी

नई दिल्ली: असम के मजलूम और गरीब मुसलमानों की मुश्किलें आसान होती नजर नहीं आ रही हैं। प्राक्रतिक आपदा और साम्प्रदायिक दंगे से दोचार होने वाले असम में अब बतौर ख़ास मुसलमानों के सामने डाउट फुल वोटर यानी डी वोटर का मुद्दा सामने है और इस मामले में उस समय बड़ा मुद्दा पैदा हो गया कि जब यह कहा गया कि जो भी डाउट फुल वोटर हैं उन्हें और उनके परिजनों को एनआरसी की सूची में शामिल नहीं किया जाए।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

शुरू से असमियों की सुरक्षा में खड़ी जमीअत उलेमा ए हिन्द अब इस मुद्दे पर भी सुप्रीम कोर्ट में जंग लड़ रही है और इंसाफ के लिए संघर्ष कर रही है। जमीअत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने उस समय इत्मिनान का साँस लिया कि जब सुप्रीमकोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली।

इसके अलावा पिछले दिन असम में डी वोटर के संबंध से एक अहम याचिका सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एके गोयल और जस्टिस इंदु मलहोत्रा की बेंच के सामने पेश की गई थी जिसमें जमीअत उलेमा ए हिन्द की ओर से फजल अय्यूबी एडवोकेट ऑन रिकार्ड और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पैरवी करते हुए बहस की।