IPL: सट्टेबाजी के काले साये में बरबाद होता युवाओं का भविष्य और परिवार

आईपीएल ने लोगों को मनोरंजन और घरेलू खिलाड़ियों को एक बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध कराया है इसमें कोई दो राय नहीं है। आईपीएल से घरेलू खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला और दर्शकों को दो महीने के लिए प्राइम टाइम पर सबसे अच्छा मनोरंजन का साधन भी। इसके बदौलत हमने दुनियां के सामने इस अद्भुत खेल की दमदार छवि पेश की। हमने दुनियां को दिखाया कि कैसे हमारे देश में ये खेल एक जुनून बनकर लोगों के रगों में दौड़ता है।

ललित मोदी से लेकर एम. श्रीवासन तक, फ्रेंचाइजी और फिक्सिंग के विवादों से परे यह खेल निरंतर अपनी लोकप्रियता बनाए रखने में सफल रहा है। लेकिन सब कुछ बेहतर होने के बावजूद एक काला साया जो हमेशा से क्रिकेट पर मंडराता रहा है उसने आईपीएल को भी अपनी चपेट में ले लिया है।

जी हां! मैं सट्टेबाजी की बात कर रहा हूँ। क्रिकेट सट्टेबाजी ऐसा खतरनाक नशा है जिसकी चपेट में आने वाले इंसान की जिंदगी तबाह होना लगभग तय हो जाती है। एक हंसता मुस्कुराता इंसान इस नशे की जद में आकर कैसे सड़क पर आ जाता है हमारे आसपास इसके कई जीते-जागते उदाहरण देखने मिल जाऐंगे।

आज के युवा वर्ग को ये नशा कितनी तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है कि इससे सरकारें और जिम्मेदारान अंजान नहीं है। फिर भी सबकी मिली-भगत से ये काला खेल बदस्तूर जारी है। चौराहों की चाय पान की दुकानों से लेकर फाइव स्टार होटलों तक में, इस नशे के सौदागरों ने अपना जाल बिछाए बैठे है।

हर एक मैच पर करोड़ों-अरबों का दांव चल रहा है। और ये सब होता है स्थानीय पुलिस की नाक के नीचे। अक्सर हमें ये सुनने मे आता है कि फलाना जगह पर पुलिस ने छापा मारकर इतने लाख/करोड़ रूपये का क्रिकेट का सट्टा पकड़ा।

लेकिन पुलिस के हाथ आज भी इस खेल के बड़े सौदागरों की पहुंच से दूर है। ये खतरनाक ज़हर हर साल न जाने कितने परिवारों को तबाह कर देता है। न जाने कितनी मांओं का सुख चैन छीन लेता है। न जाने कितनी बहनों की डोलियां उठने नहीं देता। ना जाने कितने छोटे भाई बहनों के स्वर्णिम भविष्य को निगल जाता है। और ना जाने कितने बूढ़े बाप के बुढ़ापे की लाठी तोड़ देता है।

दोस्तों दुनियां में पैसा कमाने का कोई भी शॉर्टकट तरीका नहीं है। बिना मेहनत किए रातों-रात कोई अमीर नहीं बन सकता। तो फिर क्यों हम ये बात नहीं समझ पा रहे है कि सट्टेबाजी के इस भयंकर दलदल में फंसना अपनी जान आफत में डालने जैसा है।

क्यों हम रातोरात अमीर बनने के चक्कर में अपना भविष्य बरबाद करने पर तुले हुए हैं। हमारे माता-पिता ने बड़ी मेहनत करके खून पसीना एक करके हमारे लिए एक अच्छी जिंदगी की व्यवस्था की है। इसे सहेजना इसे और बेहतर करना हमारी आपकी जिम्मेदारी है। और ये सब मेहनत किए बगैर मुमकिन नहीं है।

सट्टेबाजी के इस दलदल में मैंने कई परिवारों को उजड़ते देखा है। कई दोस्तों को सब कुछ गंवा कर बिलखते हुए देखा है। अच्छे भले सुखी परिवारों को सड़क पर आते देखा है। कई खुशहाल जिंदगियों को मौत के मूँह में समाते देखा है। इस दलदल में फंसने के बाद इससे से निकलने का सिर्फ एक ही रास्ता होता है जो आपकी तबाही और बर्बादी से होकर जाता है।

इसलिए दोस्तों आप सब से निवेदन है कि खुद को तबाह और बर्बाद करने वाले इस काले सायें से कोसों दूर रहिए। वर्ना आपकी खुशहाल हंसती खेलती दुनियां पलक झपकते कैसे बर्बाद हो जाएगी। आप समझ भी नहीं पाएंगे और आखिर में दर-दर की ठोकरें और पछतावे के सिवा कुछ नहीं बचेगा आपके पास।

मैं माननीय प्रधानमंत्री महोदय, खेलमंत्री और गृहमंत्री सहित देश के तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री और पुलिस के आला अधिकारियों से भी ये अपील करना चाहूंगा कि वो सट्टेबाजी के इस दैत्य को जड़ से मिटाने के लिए कोई कारगर और ठोस कदम उठाए जिससे समाज से इस बुराई का अंत हो सके। अन्यथा ये सट्टेबाजी का ये दैत्य इसी तरह से लोगों की जिंदगी तबाह और बर्बाद करता रहेगा।

 

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