अल्पसंख्यकों को समझना होगा, इस परिस्थिति में समाधान खोजे- इक़बाल रज़ा

इक़बाल रज़ा, कोलकाता। भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित करती है! इसके अंतर्गत अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा हेतु अनेक प्रावधानों का वर्णन है! Article-15 धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को प्रतिबंधित करती है! Article-16 भेदभाव के बिना सार्वजनिक रोजगार की वयवस्था करता है!

यद्दपि संविधान बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक व्यक्ति को बुनियादी मानव अधिकार प्रदान करता है! फिर भी शिक्षा, कौशल, पूंजी आदि की कमी के साथ-साथ राजनितिक व सामाजिक परिवर्तन इनके पिछड़ेपन का कारण बनते हैं!

सबसे पहले अल्पसंख्यकों को यह समझना होगा कि इस स्थिति में वे कैसे पहुंचे और इसके क्या समाधान हैं?

कौन से कारण हैं जो इनके हितों को प्रभावित करते हैं! इसे पहचान कर तथा रणनीति बनाकर ही उनका सामना कर पाएंगे! वे भी करदाता हैं,वे भी देशभक्त हैं, उनका भी देश के विकास में योगदान है! इसलिए वे भी अपने हिस्से का भागीदार हैं जो उन्हें भी एक गर्वित भारतीय होने की अनुभूति देगा!

इसके लिए जागरूक होना होगा, आपस में आंतरिक रूप से लड़ना बंद करना होगा। गलतियों और असफलताओं को पहचान कर सुधारना होगा। वास्तविक समस्याओं को चिन्हित करना होगा क्योंकि समस्याएँ ही परिणाम का कारण बनती है!

इसके साथ ही राजनितिक व सामाजिक अभिज्ञता भी ज़रूरी है। इनको ध्यान में रखते हुए इनका समर्थन करें। उस व्यवस्था का समर्थन करें जो आप का समर्थन करता है, और उन्हें चुनौती दें जो आपको प्रभावित करता है। प्रभावी ढंग से अपने मुद्दे उठायें!

“यह आसान है। लेकिन इसे पहचानना होगा, इसे समझना होगा, और फिर इसके बारे में कुछ करना होगा।”

लेखक- इक़बाल रज़ा