अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति उम्मीदवार ने कहा- ‘जैश-ए-मोहम्मद को चलाने में ISI का हाथ है’

अफगान उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अमरुल्लहा सालेह ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर द्वारा चलाए जा रहे आतंकवाद से लड़ने के लिए क्षेत्रीय प्रयास का आह्वान किया है। बता दें सालेह पूर्व खुफिया प्रमुख और आंतरिक मामलों के मंत्री हैं। उन्होंने इस आतंकी संगठन को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का जहरीला हाथ बताया है।

उनसे मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में चीन द्वारा बचाए जाने पर सवाल पूछा गया था। जिसके जवाब में उन्होंने कहा, “चीन उसे आतंकवादी के रूप में देखता है या नहीं, वह आतंकवादी है।” ये बात उन्होंने काबुल से ईमेल साक्षात्कार में कही।

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ था। जिसमें कम से कम 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के इसी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इस आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया था।

इसके बाद भारत ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने पर हवाई हमला कर दिया था। इसी बीच अफगानिस्तान की सरकार तालिबानी लड़ाकों से लड़ रही है। जिन्हें सालेह के अनुसार पाकिस्तान का संरक्षण प्राप्त है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सालेह ने कहा, “देखें, जब वो भारत और अफगानिस्तान पर हमला करते हैं, तो वे (आईएसआई) इस साधन (आतंकवाद) का इस्तेमाल करते हैं और फिर खुद को बदनाम होने से बचा लेते हैं। हालांकि अब यह और नहीं चलेगा।”

सालेह ने ज्वाइंट चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के पूर्व अमेरिकी चेयरमैन मिशेल मुलेन के हक्कानी नेटवर्क का संदर्भ भी दिया, जिसमें उन्होंने इस नेटवर्क को आईएसआई का जहरीला हाथ बताया था।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, उन्होंने आगे कहा, “मेरा मानना है कि आतंकवाद का पूरा ढांचा, जो पाकिस्तान से बाहर निकलता है और संचालित होता है, वह आईएसआई का जहरीला हाथ है। या तो हम पाकिस्तान को उनसे खुद को अलग करने के लिए मना लें, जो कि असंभव है, या हम इस जहरीले हाथ को काटने के लिए एक साथ काम करें।”