JNU छात्र निष्कासन मामला: दिल्ली, बिहार में छात्रों ने वीसी के पुतला दहन के साथ किया प्रदर्शन

नई दिल्ली: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में दलित, मुस्लिम छात्रों-छात्राओं ने सामाजिक न्याय से जुड़े मांग को लेकर संघर्ष कर रहे थे. जिस पर जेएनयु प्रशासन ने दंडनात्मक कार्रवाई करते हुए कई छात्रों को निष्कासित कर दिया था. इसके विरोध में बुधवार को जेएनयू, दिल्ली के नेहरू विहार और भागलपुर स्टेशन चौक पर न्याय मंच और प्रगतिशील छात्र संगठन के बैनर तले प्रतिवाद प्रर्दशन व जेएनयू कुलपति का पुतला दहन किया गया.

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नेशनल दस्तक के अनुसार, न्याय मंच के डॉ. मुकेश कुमार और प्रगतिशील छात्र संगठन के अंजनी ने नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जेएनयू जैसे सर्वोत्कृष्ट और लोकतांत्रिक परिसर में समाजिक न्याय के साथ क्रूर मजाक चल रहा है. वहां भी जाति-धर्म-क्षेत्र के आधार पर छात्र-छात्राओं के साथ वाईवा में भेद भाव किया जाता है. परिसर जीवन में ब्रह्मणवादी-सवर्ण दबदबा कायम है. लिखित परीक्षा में दलित-आदिवासी-पिछड़े-अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र अच्छा अंक हासिल करते हैं, लेकिन वाईवा में भेदभाव के कारण इन समुदायों के छात्र-छात्रा प्रवेश पाने से वंचित हो जाता है.

दोनों नेताओं ने यह भी कहा कि यह हकीकत बार-बार सामने आता है कि लिखित परीक्षा में अच्छा अंक हासिल करने वाले वंचित पृष्ठभूमि के छात्र-छात्राओं को वाईवा में काफी कम अंक हासिल होता है. ऐसी स्थिति में वंचित समूहों के छात्र-छात्राओं द्वारा वाईवा का अंक 30 से घटा कर 10-15 कर देने की मांग जायज है. यह सामाजिक न्याय की गारंटी से जुड़ी मांग है.

वहीँ जेएनयू छात्र प्रहलाद कुमार एवं स्वतंत्र पत्रकार आशुतोष आर्यन ने कहा कि जेएनयू में हालिया फीस वृद्धि भी सामाजिक न्याय पर हमला है. इससे वंचित समूहों-गरीब पृष्ठभूमि से आनेवाले छात्र-छात्राओं का जेएनयू जैसे परिसर में जाने का रास्ता बंद होगा. इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.