नाम बदलने को लेकर बोले बहादुर शाह जफर के वंशज, कहा- ‘सिर्फ़ गंदी राजनीति है’

अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर के वंशजों ने शहरों के नाम बदलने के नए ट्रेंड को ‘गंदी राजनीति’ का हिस्सा करार दिया है। मुगल वंशज जीनत महल शेख ने कहा, ‘इलाहाबाद और मुगलसराय के नाम बदलना दिखाता है कि हमारे देश की राजनीति कहां जा रही है। कल को क्या कोई अपनी राजनीति चमकाने के लिए हमारे देश का नाम भी बदल देगा?’

अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर के वंशजों ने शहरों के नाम बदलने के नए ट्रेंड पर जमकर अपनी भड़ास निकाली है और इसे ‘गंदी राजनीति’ का हिस्सा करार दिया है। बहादुर शाह जफर की वंशज जीनत महल शेख ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘जिस तरह इलाहाबाद और मुगलसराय के नाम बदले गए वह दिखाता है कि हमारे देश की राजनीति कहां जा रही है। इसी तरह कल को कोई अपनी राजनीति चमकाने में क्या हमारे देश का नाम भी बदल देगा?’

जीनत महल बहादुर शाह जफर के पड़पोते मिर्जा मोहम्मद बदर की बेटी हैं, जिनकी काफी समय पहले मौत हो गई थी। जीनत के अलावा घर में उनकी चार बहनें और उनकी मां सुल्ताना बेगम हैं। सुल्ताना कोलकाता में रहकर एक चाय की दुकान चलाती थीं, बाद में सरकार ने उन्हें 6,000 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन देना शुरू कर दिया।

अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर ने 1837-57 तक शासन किया। 1857 की क्रांति के दौरान ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें देशनिकाला दे दिया था और बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया था। जहां करीब 5 साल बाद उनकी मौत हो गई थी। जो मुगल वंशज अभी हैं, वे बहादुर शाह जफर की एक पत्नी जीनत महल के वंशज हैं।

जीनत के रिश्तेदार इकबाल अहमद नवाब (55) ने कहा, ‘मुगलों को जानबूझकर लुटेरा कहा जाता है और बताया जाता है कि उन्होंने देश को लूटा और भाग गए। यह गलत है। मुगलों ने 1857 तक देश पर राज किया और कभी अंग्रेजों का साथ नहीं दिया, जैसा कि कुछ हिंदू रियासतों के राजाओं ने किया।

उनके वंशज आज भी ऐशो आराम की जिंदगी जी रहे हैं। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि जब 1857 की क्रांति हुई थी तो इनमें से अधिकांश ने अंग्रेजों के सामने घुटने टेक दिए थे, यह सब इतिहास की किताबों में दर्ज है।’

साभार-‘ नवभारत टाइम्स’