अच्छे दिन! मोदी सरकार ने UP के गरीब मनरेगा मजदूरों की मजदूरी 1 रुपया बढ़ाई

देश के पिछड़े और गरीब सुबो के मजदूरों के लिए यूपीए सरकार मनरेगा स्कीम लाई थी जिससे कि यहाँ के गरीब बेरोजगार मजदूरों की थोड़ी परेशानी दूर किया जा सके।

लेकिन अब केंद्र में सरकार बदल चुकी है। और गरीब मजदूरों को मिलने वाले चंद दिनों की राहत भी। हालाँकि मोदी सरकार ने मनरेगा के तहत मिलने वाली न्यूनतम मजदूरी के दामों में बढ़ोतरी की है लेकिन बढ़ोतरी हुई कितनी है, ये जानकार आप चौक सकते हैं।

दरअसल मजदूरी के दाम में महज 1 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। यह बढ़ोतरी कई राज्यों के लिए की गई है। बीते 11 सालों में न्यूनतम मजदूरी में की गी सबसे कम बढ़ोतरी है।

वहीँ बढ़ोतरी के बावजूद भी लगभग 11 राज्यों में न्यूनतम मजदूरी की दर के मुकाबले, तय की गई मजदूरी काफी कम है। पूर्वी राज्यों पर इसका ज्यादा असर ज्यादा पड़ा है।

मजदूरी में बढ़ोतरी किए राज्यों में असम, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे गरीब और बीमारू राज्य शामिल हैं। वहीं ओडिसा में 2 रुपये और पश्चिम बंगाल में 4 रुपये से बढ़ोतरी की गई है।

राज्यों के बीच मजदूरी बढ़ाने का काफी अंतर भी देखा जा सकता है। जहां कुछ राज्यों में महज 1 या 2 रुपये से मजदूरी बढ़ाई गई है वहीं केरल और हरियाणा में मजदूरी 18 रुपये से बढ़ाई गई है। हरियाणा में अब न्यूनतम मजदूरी 277 रुपये हो गई है। वहीं बिहार और झारखंड में मजदूरी सबसे कम 168 रुपये हुई है। तय की गई न्यूनतम मजदूरी दर 1 अप्रेल 2017 से लागू हो जाएंगी।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस बढ़ोतरी को लेकर कहा कि इस साल न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी 2.7 फीसद के हिसाब से की गई है। इसके पीछे की वजह उन्होंने इंफ्लेशन को बताया।

बढ़ोतरी को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि रोजगार योजना और न्यूनतम दरों के बीच बनी खाई को 2014 में अर्थशास्त्री महेंद्र देव की कमेटी द्वारा दिए गए सुझावों से संकुचित किया जा सकता था।

डे आगे कहा- “सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी राज्य की न्यूनतम मजदूरी दर से कम मजदूरी मिलती है तो उसे बंधुआ मजदूरी माना जाएगा।”