फीफा वर्ल्ड कप में कई मुस्लिम खिलाड़ी, रमजान में मैच खेलना बड़ी चुनौती

4 जून से फीफा वर्ल्ड कप का आगाज होने जा रहा है। फुटबॉल के इस सबसे बड़े खिताब के लिए दुनिया की 32 टीमें ‘पैरों की जंग’ लडेंगीं। फुटबॉल विश्व कप की शुरुआत रमजान के पाक महीने में होने जा रही है। रमजान के दौरान जो मुसलमान रोजे रखते हैं और वे सुबह से लेकर शाम को इफ्तार करने तक पानी तक नहीं पीते। रमजान का यह महीना उन फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए चुनौती बनकर उभरा है जो अभी रोजे में हैं।

ट्यूनिशिया, मिस्त्र, मोरक्को, नाइजिरिया, सेनेगल, सऊदी अरब और ईरान जैसे देशों की फुटबॉल टीमों में कई मुसलमान खिलाड़ी हैं जो इस वक्त रोजे में हैं। अफ्रीका से 2 सबसे ऊंचे प्रोफाइल वाले खिलाड़ी मिस्त्र के मोहम्मद सलाह और सेनेगल के सादियो मान मुसलमान हैं। मिस्त्र की टीम के डॉक्टर मोहम्मद अबुलेला का कहना है कि रमजान एक बड़ी और काफी मुश्किल भरी चुनौती है। रमजान के दौरान सोने के वक्त, खाने के वक्त और उसकी मात्रा सबकुछ बदलना पड़ता है। इसलिए टीम के पास सिर्फ 6 या 7 घंटे होंगे जब वे अच्छे से ट्रेनिंग कर पाएंगे और कम से कम 2 बार कुछ खा सकेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें माहौल के अनुसार ढलने में काफी दिक्कत होगी क्योंकि 1 महीने के रोजे के बाद वे खेलेंगे।

रमजान का महीना मई के बीच में शुरू हुआ था जिसका मतलब है कि इससे टीमों पर करीब 1 महीने तक असर रहा। रमजान इस गुरुवार को खत्म होने जा रहा है और इसी दिन वर्ल्ड कप की शुरुआत भी हो रही है। इस दिन पहला मैच रूस और सऊदी अरब के बीच है। वहीं शुक्रवार को मिस्त्र और मोरक्को का भी पहला मैच है। मैच की तैयारी के लिए रोजे न रखना एक संवेदनशील मुद्दा है और यह पूरी तरह एक खिलाड़ी पर निर्भर करता है। ट्यूनिशिया के कोच नबील मलूल ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि वह इस मामले में दखल नहीं दे सकते।

सेनेगल के कोच ने कहा कि सब जानते हैं कि हाई लेवल फुटबॉल और रमजान दोनों साथ में फिट नहीं बैठते। हालांकि उन्होंने इस बारे में कोई बात नहीं की कि उनकी टीम के मुस्लिम खिलाड़ी रोजे रख रहे हैं या नहीं। वहीं मिस्त्र के कोच हेक्टर कूपर का कहना है कि मिस्त्र की फुटबॉल असोसिएशन ने न्यूट्रिशल एक्सपर्ट्स को हायर किया जो रमजान के महीने के दौरान खिलाड़ियों की फिजिकल कंडीशन का ख्याल रख रहे हैं। मिस्त्र के एक खिलाड़ी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि जब आप रोजे में रहते हैं तो आप 30 मिनट के बाद दौड़ तक नहीं पाते और आपकी सांस उखड़ने लगती है। एक वक्त के बाद ऐसा लगता है जैसे आपके पैर आपका बोझ उठाने के लिए तैयार नहीं हैं।