रिपोर्ट: हेल्थ के मामले में भी भारत निकला फिसड्डी, बांग्लादेश भी हमसे कहीं बेहतर

नई दिल्ली/मुंबई। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज के एक नए अध्ययन के अनुसार भारत स्वास्थ्य के मामले में 154 वें स्थान पर है। ये चीन, श्रीलंका और यहां तक ​​कि बांग्लादेश से भी नीचे है। इस अध्ययन में यह बताया गया है कि देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के बावजूद भारत स्वास्थ्य सेवा के लक्ष्यों को हासिल करने में नाकाम रहा है और पिछले 25 सालों में ये आंकड़ें बढ़ रहे हैं।

 

 

 

हालांकि हेल्थकेयर इंडेक्स में भारत का स्कोर 14.1 अंक से बढ़ा है। ये 1990 में 30.7 से 2015 में 44.8 हो गया है। भारत में टीबी, मधुमेह, हृदय रोगों और क्रोनिक किडनी रोग के अपेक्षा से ज्यादा हालात खराब हैं। बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित इस अध्ययन में 1990-2015 से 195 देशों के प्रदर्शन का आकलन किया गया।

 

 

 

ये उन 32 बीमारियों से हुई मृत्यु दर पर आधारित है जो साल-दर-साल देश में प्रभावी चिकित्सा देखभाल के कारण ठीक की जा सकती थीं। भारत ने नवजात विकारों के मामले में 14, टीबी के 26, संधिशोथ हृदय रोगों के लिए 25 और उच्च रक्तस्रावी हृदय रोगों के लिए 33 का सूचकांक अर्जित किया। मधुमेह, क्रोनिक किडनी रोग और जन्मजात हृदय रोगों के लिए 38, 20 और 45 अंक मिले हैं।

 

 

देशों के बीच बढ़ती असमानताओं को उजागर करते हुए शोधकर्ताओं ने बताया कि समान विकास के स्तरों के देशों में भी स्वास्थ्य सेवा और गुणवत्ता में बेहद अंतर है।

 

 

उदाहरण के लिए चीन भारत के सूचकांक से आगे है। 74 अंकों के साथ 82 स्थान पर है। श्रीलंका ने 73 अंक प्राप्त किए। ब्राजील और बांग्लादेश में 65 और 52 अंक लेकिन भारत पाकिस्तान से ऊपर है। पाकिस्तान के केवल 43 अंक हैं।