जब असदुद्दीन ओवैसी ने PM मोदी के भाषण को ठीक किया

आंध्र प्रदेश के टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के सांसदों के विरोध के बीच राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपना भाषण दिया. लोकसभा में प्रश्न काल के दौरान दोनों पार्टियों ने जमकर नारेबाजी की. संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने सांसदों से अपनी सीटों पर वापस जाने का आग्रह किया जिससे पीएम नरेंद्र मोदी बोल सकें. इसके बाद 10 मिनट के अंदर ही आंध्र प्रदेश के सांसद अपनी-अपनी सीटों पर वापस आ गए जबकि कांग्रेस ने इसका विरोध किया.

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूछा कि क्या टीडीपी की आंध्र प्रदेश के लिए प्रतिबद्धता चली गई है? कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने भी उनका समर्थन किया. टीडीपी सांसद टी नरसिंहा की सिंधिया से झड़प भी हुई. जैसे ही स्थिति खराब हुई अनंत कुमार सांसदों के पास पहुंचे और उन्हें उनकी कुर्सियों पर वापस पहुंचाया. आखिरकार जब पीएम मोदी ने बोलना शुरू किया तो कांग्रेस के सांसद सदन में आंध्र प्रदेश मामले में बेहतर कार्यवाही की मांग करने लगे.

पीएम का कांग्रेस पर हमला पूर्व नियोजित था. कांग्रेस ने पीएम के भाषण को रोकने की जमकर कोशिश की. कांग्रेस पहले से ही पीएम के भाषण में बाधा डालने की रणनीति बनाकर आई थी. लेफ्ट पार्टी के सांसदों और आरजेडी ने भी इसमें उनका साथ दिया. बंगाल से सांसद अधीर रंजन चौधरी के मलमायम नारों को सदन में साफ सुना गया.

सदन में पीएम मोदी का भाषण करीब डेढ़ घंटे चला जिसके बाद विपक्ष की रणनीति भी बदल गई. राहुल गांधी ने अपने सांसदों को राफेल मुद्दे पर नारा बदलने को कहा. जिसके बाद सांसदों के प्रदर्शन के बैनर्स को राफेल नारों से बदलते हुए देखा गया. भले ही कांग्रेस और सीपीएम ने 2019 में गठबंधन नहीं करने का फैसला किया हो, लेकिन उन्होंने मोहम्मद सलीम को राहुल द्वारा दिए गए राफेल बैनर को दिखाने से नहीं रोका.

कांग्रेस अध्यक्ष न केवल प्रदर्शन में व्यक्तिगत दिलचस्पी दिखाते दिखाई दिए, इसके अलावा वो ये भी देखने को उत्सुक दिखे कि क्या लोकसभा टीवी इस प्रदर्शन को प्रसारित कर रहा है. राहुल , मोइली, थरूर, सिंधिया सभी टीवी स्क्रीन के पास ये देखने के लिए पहुंचे कि क्या कैमरा उनके प्रदर्शन को कैद कर रहा है.

इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी पीएम मोदी के तथ्यों की जांच-पड़ताल करते दिखाई दिए. उन्होंने पीएम मोदी की एक बात को ठीक करने की भी कोशिश की कि शिमला समझौते पर जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किया न कि बेनजीर भुट्टो ने.

हालांकि लोकसभा टीवी ने इसका प्रसारण नहीं किया. लेकिन इस चक्कर में पीएम मोदी के भाषण के बाद सांसदों की बधाई का प्रसारण भी नहीं हो पाया.