असीमित राजनीतिक हिंसा के जारी रहते किसी के लिए पूरे तौर पर शांति स्थापित नहीं हो सकता

नई दिल्ली: भारत में सुरक्षा व आपसी भाईचारे को बढ़ते चुनौतियों के मद्देनजर देश की बड़ी थिंक टैंक में शुमार इंस्टीट्यूट ऑफ़ ऑब्जेक्टिव स्टडीज (आईओएस) ने राष्ट्रीय राजधानी में तीन दिवसीय सम्मेलन में आमंत्रित किया है।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

जिसमें कानून और सामजिकता के माहरीन के अलावा जीवन से जुड़े विभगों से बुद्धिजिवी बुलाए गए हैं। यह सम्मेलन समानता, इंसाफ और भाईचारे की फ़िक्र के वृद्धि पर आधारित होगी। इस संबंध से आईओएस के अध्यक्ष डॉक्टर मंज़ूर आलम ने इंक़लाब से खास बातचीत बताया कि कड़े समय आ गया है, इसी लिए जीवन से जुड़े गंभीर समस्याओं इंसाफ और भाईचारे के उसूलों को स्थापित करने के लिए कमर कस लेना चाहिए।

उन्होंने बताया कि हमारी सम्मेलन का विषय भारत के मौजूदा स्थिति में समानता, इंसाफ और भाईचारे की ओर; एक बेहतर भविष्य का निर्माण’ रखा गया है, जिससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि हम जिन खतरों की बात कर रहे हैं, उसके मुकाबले के लिए क्या तरीका अपनाया जाना चाहिए।

एक सवाल के जवाब में डॉक्टर मंज़ूर आलम ने बताया कि मुसलमानों पर सम्मिलित धार्मिक अल्पसंख्यक विकास के सभी मैदानों में खास तौर पर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के विभागों पर है। यही नहीं बल्कि भारतीय समाज का यह वर्ग दंगे और योजनाबद्ध हिंसा के कारण डर से जूझ रहे हैं।