नेशनल सिटीजन रजिस्टर का फाइनल ड्राफ्ट : पाॅपुलर फ्रंट ने मानवता पर मंडराते खतरे से आगाह किया

नेशनल सिटीजन रजिस्टर के अंतिम ड्राफ्ट पर अपनी प्रतिक्रिया में पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया (पीएफआई) के चेयरमैन ई. अबूबकर ने असम में सिर उठा रहे एक बड़े खतरे से सावधान किया है।

उन्होंने सरकार, न्यायपालिका, राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों और मानवाधिकार की एजेंसियों से असम के बंगाली बोलने वाले भारतीय नागरिकों की एक बड़ी संख्या को अपनी ही सरज़मीन पर शरणार्थियों की तरह जीने से बचाने की अपील की है।

चैंकाने वाली बात है कि 40 लाख से अधिक लोगों को जिनमें से अकसर बंगाली बोलने वाले असामी हैं। अगर यह फैसला लागू हो गया, तो बहुत मुमकिन है कि उन्हें अपनी ही सरज़मीन पर गैरकानूनी शरणार्थी करार दे दिया जाए।

अब सिर्फ सभी प्रकार की नागरिकता का खात्मा, राजनीतिक व मानवाधिकारों के उल्लंघन और आखिरकार पुलिस और सेना का अत्याचार बाकी रह गया है।

लगातार नज़रअंदाज़ और उत्पीड़न का शिकार रहने के अलावा असामी बंगाली लोगों की बड़ी संख्या आपदाओं का भी शिकार हुई है, उनका कोई स्थायी जीवन नहीं है और उन्हें दर दर भटकना पड़ा है।

ऐसे लोग अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज़ पेश नहीं कर सकते। बंगलादेश और पश्चिम बंगाल दोनों में से कोई भी असम से निकाले गए लोगों को कबूल करने के लिए तैयार नहीं हैं।

इसलिए इस चाल के पीछे नस्लवादी व फासीवादी ताकतों के असल एजेंडे को समझना बहुत ज़रूरी है। इसका मकसद 2019 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले बंगाली लोागों की बड़ी संख्या को जिनमें अकसर मुसलमान हैं, उनके नागरिक अधिकार विशेषकर वोट डालने के अधिकार से वंचित करना है।